Punyanu Poshan Paryushana Thoy पुण्यनुं पोषण पापनुं शोषण

पुण्यनुं पोषण पापनुं शोषण, पर्व पजुसण पामीजी

कल्प घरे पधरावो स्वामी, नारी कहे शिर नामीजी;

कुंवर गयवर खंधे चढावी, ढोल निशान वजडावोजी

सद्दगुरु संगे चढते रंगे, वीरचरित्र सुणावोजी. (१)


प्रथम वखाणे धर्मसारथीपद, बीजे सुपना चारजी,

त्रीजे सुपन पाठक वळी चोथे, वीर जनम अधिकारजी;

पांचमे दीक्षा छट्टे शिवपद, सातमे जिन त्रेवीशजी,

आठमे थिरावली संभळावी, पियूडा पूरो जगीशजी. (२)


छड अट्ठम अठ्ठाई कीजे, जिनवर चैत्य नमीजे जी,

वरसी पडिक्कमणुं मुनि वंदन, संघ सयल खामीजेजी;

आठ दिवस लगे अमर पळावी, दान सुपात्रे दीजेजी,

भद्रबाहु गुरु वयण सुणीने, ज्ञान सुधारस पीजेजी. (३)


तीरथमां विमलाचल गिरिमां, मेरु महीधर जेमजी,

मुनिवरमांहि जिनवर मोटा, पर्व पजुसण तेमजी;

अवसर पामी साहम्मिवच्छल, बहु पकवान्न वडाइजी,

खिमाविजय जिन देवी सिद्धाइ, दिन दिन अधिक वधाइजी. (४)

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