Navsmaran

नवस्मरण

१. श्री नवकारमंत्र
२. श्री उवसग्गहरं स्तोत्र
३.श्री संतिकरम स्तोत्र
४.श्री तिजयपहुत्त स्तोत्र
५.श्री नमिउण स्तोत्र
६. अजिशांति स्तोत्र
७. भक्तामर स्तोत्र
८.कल्याण मंदिर स्तोत्र
९.बृहद शांति स्तोत्र

१. श्री नवकारमंत्र:-
ज्ञानी भगवंतोए आ मंत्रने शाश्वातो बताव्यो छे. आ मंत्रमां जिन शाशनना तमाम महात्मा (अरिहंत, सिध्ध, आचार्य, उपाध्याय अने साधु भगवंतो)ओने भावपूर्ण रीते वंदना करवामां आवेल छे. आ मंत्रना एक एक शब्द प्रगट प्रभावी होई तेना श्रवणमात्रथी अनेकानेक जीवो भव्य शाता अने सदगतिने पाम्याना दाखलाओ मोजुद छे.

आ महा मंगलकारी मंत्रना किर्तन अने आराधनाए अनेक आत्माना माटे कल्याणकारी बनीने तेओना आत्माने कल्याण प्रदान करेल छे, अने वास्तविक फळथी वांछित बनेल छे. अने तेथी ज आ महामंत्रने जैन धर्मनो प्राण कहेवाय छे.

२. श्री उवसग्गहरं स्तोत्र:-
अ स्तोत्रमां २३मा तीर्थंकर श्री पुरूषादानीय पार्श्वनाथ भगवाननी स्तवना करवामां आवेल छे. भगवान महावीरनी पाटना १४पुर्वधर श्री भद्रबाहुस्वामीजी आ स्तोत्रना रचियता छे. आ स्तोत्र एवुं तो चमत्कारिक अने प्रभावी छे के, तेनुं वर्णन करवानी समर्थता इन्द्रमां पण नथी. आ स्तोत्रना नित्य पठन अने श्रवणथी तमाम प्रकारना भयनुं निवारण थाय छे तथा मनवांछित फळनी प्राप्ति थाय छे.

३.श्री संतिकरम स्तोत्र:-
नव स्मरणनुं आ त्रीजुं स्तोत्र तपागच्छ नायकश्रीमद् मुनिसुंदरस्वामीए रचेल छे. जेमां जैन शाशनना तमाम देव देवीओ, विद्याधरो, यक्षयक्षिणीओनो बखुबी उल्लेख थयेल छे. जेनी १४मी गाथानुं वर्णन महाप्रभावी दर्शावेल छे. पूर्वमां थयेला अनेक प्रकारनी आधि, व्याधी अने उपाधिओनो नाश करवा तथा सकल जीवोनी अनंत शाता अने कल्याण माटे आ स्तोत्रनी रचना करवामां आवेल हती. आ स्तोत्रनुं त्रिकाळ स्मरण करवाथी सर्व व्याधिओना नाश साथे सुलभ बोधीपणानी प्राप्ति थाय छे.

४.श्री तिजयपहुत्त स्तोत्र:-
पुर्वमां श्री संघमां व्यंतरो द्वारा थयेला भयंकर उपद्रवोना शमन अने निवारण माटे आ स्तोत्रनी रचना शाशनना परम उपकारी श्रीमद मानदेवसूरिए करेल हती. आ स्तोत्रमां उत्कृष्ट १७० तीर्थंकर परमात्माओनी अनन्य स्तुति करवामां आवेल छे. आजे पण आ स्तोत्र अनेक प्रकारना उपद्रवना निवारण माटे खुब ज असरकारक अने फळदायी सिध्ध थयेल छे.

५.श्री नमिउण स्तोत्र:-
आ महाचमत्कारिक, भयनाशक अने महान स्तोत्रना रचियता बृहदगच्छीय आचार्य भगवंत श्रीमद मान्तुंगसूरि छे. आ स्तोत्रमां २३मा तीर्थंकर श्री पार्श्वनाथ प्रभुनी वंदना करायेल छे. आ स्तोत्रना प्रभावथी तमाम प्रकारना उपद्रवो अने भयनुं निवारण थतुं होई आ स्तोत्रने “भयहरम् स्तोत्र” पण कहेवाय छे. आस्तोत्रना स्मरण अने आराधनाथी दीर्घकालीन सुखथी मनोहर मोक्षनी प्राप्ति थाय छे.

६. अजिशांति स्तोत्र:-
आ स्तोत्रनी रचना माटे बे मत छे. तेना रचियता श्री नंदीषेणसूरि छे. जेओ एक मत अनुसार भगवान महावीरना शाशनना होवानुं मनाय छे, तो अन्य मते भगवान नेमिनाथना शिष्य होवानुं पण मनाय छे. आ स्तोत्रनी रचना श्री सिद्धाचल शेत्रुंजय तीर्थ पर थयेल होवानो उल्लेख छे. श्री शेत्रुंजय तीर्थ उपर आ भगवाननां देहरां सामसामां हता, पण आ स्तवन प्रथम वखत बोलाती वखते ते एक हारमां आवी गया.आ स्तोत्रनी एक एक गाथामां क्रमशः शांतिनाथ अने अजितनाथ प्रभुनी स्तवना करवामां आवेल छे. प्राकृत भाषाना आ कर्णप्रिय स्तोत्रमां विविध राग अने छन्दोथी प्रत्येक गाथामां प्रभुनुं अनुपम वर्णन थयेल छे. आ स्तोत्रना श्रवणथी रोग अने शत्रुना उपद्रवोनुं शमन थाय छे. वर्तमानमां आ स्तोत्रनुं पाक्षिक (पकखी), चोमासी अने सांवत्सरिक प्रतिक्रमणमां श्रवण थाय छे.

७. भक्तामर स्तोत्र:-
आ स्तोत्र वर्तमानमां अति लोकप्रिय अने तमाम स्थळोए सांभळवा मळे छे. समग्र स्तोत्रनी रचना “वसंततिलका” रागमां होई ते कर्णप्रिय हवा उपरांत लोकभोग्य पण छे. आ स्तोत्रना कर्ता आचार्य श्री मान्तुंगसूरिए प्रत्येक गाथामां भगवान आदिनाथना अलंकारिक भाषामां शोभा,आभाना अने प्रभावने विशिष्टरीते वर्णवेल छे. आ आचार्य महाराजने जयारे कोई राजाए(श्री हर्ष राजाए) तेमनी शक्ति परीक्षा माटे 48 बेडीओ पहेरावी हती, त्यारे आ आचार्य महाराज जेम जेम श्लोको रचता गया तेम तेम ते बेडीओ तुटती गई. आथी जैन धर्मनी उन्नती थइ अने राजा जैन धर्ममां प्रीति वाळो थयो.आ स्तोत्र चमत्कारिक अने प्रभावशाळी होई पाप रूपी अंधकारनो नाश करनार पण छे.

८.कल्याण मंदिर स्तोत्र:-
श्रीमद सिध्धसेन दिवाकरसूरिए रचेलुं आ श्री पार्श्वनाथ स्तोत्र(स्तवन) छे. श्री उज्जयिनी नगरीमां महाकाळ नामना जैन मंदिरमां श्री पार्श्वनाथ प्रभुनी प्रतिमा हती, जेने ब्राह्मणोए शिवलिंग पधरावी ढांकी दीधी हती. बाद आ स्तोत्र रच्युं तेनो 11मो श्लोक रचतां ते लिंग फाट्युं अने प्रतिमाजी प्रगट थयां. आने भणवाथी सर्व प्रकारनां विध्नो नाश पामे छे अने सुख मळे छे.

९.बृहद शांति स्तोत्र:-
सुपर टोनिक समा “नव स्मरण”मां सहुथी छेल्ला क्रमे प्रकाशवा आवतुं आ अदभुत स्तोत्र छे. सामान्यपणे आ स्तोत्र “मोटी शांति”ना नामे जाणीतुं छे. भगवान जन्मे छे त्यारे तेमने मेरुपर्वत उपर न्हवराववा इन्द्रो अने देवताओ लइ जाय छे. त्यां तेमने न्हवरावव्यां पछी तेओ शांतिपाठ बोले छे. आनी अंदर अनेक जीवोनी अनेक प्रकारे शांति ईच्छवामां आवी छे. आने श्री नेमिनाथ प्रभुनी माता शिवादेवीए देवीपणामां रचेली छे तेम कहेवाय छे. दरेक धार्मिक अनुष्ठानोमां तथा सकल संघनी शांति माटे आ स्तोत्रनो उपयोग अवारनवार अने बहुधा थाय छे. आ स्तोत्रनुं पाक्षिक (पकखी), चोमासी अने सांवत्सरिक प्रतिक्रमणमां पण श्रवण थाय छे.

आ तमाम नव स्तोत्रो जैन शाशनना सर्वोत्तम बहुमुल्य अने चमत्कारिक स्तोत्रो छे.जे पुण्य रूपी शरीरनुं उत्पन्न करनारा छे.आत्मानी उन्नती अने पावन करनारा आ स्तोत्रो मोक्षगामी पण छे.

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