Kesariyo Rang Jin Shashan No Aapjo
“अहो! जिनशासनम्"
वंदन हो वीरने शौर्यरसधारने,
समता भंडार वलि करुणावतारने;
आपनुं शासन पामी… आप कने मांगतो,
केसरियो रंग जिनशासननो आपजो
केसरियो रंग… (१)
साडा बार वर्षांनी साधनाना अंतमां,
वैशाखी सांजे वसे ज्ञाननी वसंतमां;
वरसे जिन मेहुलो… जैनत्व वहावतो
केसरियो रंग… (२)
इन्द्र-चक्री-राजा सुकानीना पदतणु,
शासनविहीन हुं मनुष्यपणुं अवगणुं;
शासन सुभटनी… पदवी प्रभु! आपजो
केसरियो रंग… (३)
सत्ता-सौंदर्य सुकानने न मापतो,
शासननी तोले हुं क्रोडो ना मानतो;
देवोना मालिकने… डींगो बतावतो
केसरियो रंग… (४)
राजवीओ मंत्रीओ श्रेष्ठीओ ने श्रावको,
वीरवचन वाहको शासनना चाहको;
आदर्शो एमना… अंतरे वसावजो
केसरियो रंग… (५)
शासनने काजे जेणे सुख साह्यबी त्यजी,
शासनने काजे जेणे जिंदगी धरी दीधी;
शासन शहीदोने… अंजलि हुं आपतो
केसरियो रंग… (६)
वायरो विषम तेथी मुजने उगारजो,
दईने प्रशम कुणा काळजाने ठारजो;
काष्ठ सीसम शी मने… मक्कमता आपजो
केसरियो रंग… (७)
कर्मथी ने काळथी कुमित्रोना वारथी,
रक्षा करजो मारी वासना प्रहारथी;
काबरियो चीतरेलो… रंग आ उतारजो
केसरियो रंग… (८)
व्हाला मारा वीरजी, वारस बनावजो,
श्यामल पाषाण छु आरस बनावजो;
श्रद्धाना स्वर्णस्पर्श… पारस बनावजो
केसरियो रंग… (९)
शासन हीळनाने टाणे अम हृदय दाझता,
पडकारो देखीने आंखे अश्रु बाझता;
हैयाना भाव फळे… एवुं बळ आपजो
केसरियो रंग… (१०)
हिंमत खुटे ना कदी श्रद्धा तूटे ना,
शासनना राग सामे कोई कदीना;
शांतिनी पळमां के… साहसनी चळवळमां
केसरियो रंग… (११)
सूर्य तेज सूरिवरनुं आंखे चमकावजो,
पुण्य तेज तेमनु कार्यमां झळकावजो;
ज्ञान तेज तेमन… बुद्धिए समावजो
केसरियो रंग… (१२)
शासननी चाले मुज पगलां मंडावजो,
शासनना व्हाले मुज आतमा पलाळजो;
शासनना ताले मुज… रोम रोम नाचजो
केसरियो रंग… (१३)
शासन आराधना पलपल हुं मांगतो,
शासन प्रभावना हुंघट घटमां चाहतो;
शासन सेवाना रुडा… अवसरिया आपजो
केसरियो रंग… (१४)
तारा शासननो छु प्रेमी सदायनो,
तारा शासननो हुँ ऋणी सदायनो;
सेवक छु सैनिक छु… तत्परता आपजो
केसरियो रंग… (१५)
शासनना दीवडामां तन मन तेल दई,
शासनना कोडियामां जीवतरनी वाट थई;
प्रगटेला दीवडाने… प्रगटेलो राखजो
केसरियो रंग… (१६)
भवोभव मलजो शासन भावना ए भावजो,
पाम्या शासन तेनी धन्यता अनुभावजो;
अंतर कहे छे पछी… कर्मने हंफावजो
केसरियो रंग… (१७)
मारा अंतरनी काळाश बधी काढजो,
साधु जीवननी सफेदी मने आपजो;
सर्व जीव मैत्रीनी… हरियाली आपजो
केसरियो रंग… (१८)
अर्हंनो नाद दिन-रात रहे गाजतो,
सिद्धोनी शुद्धिनु लक्ष्य हुं साधतो;
केसरियो चांदलो… भाले चमकावजो
केसरियो रंग… (१९)
श्वासने शरीरथी अधिक चहं शासनम्,
रोम रोमे नाद गुंजे अहो! जिनशासनम्,
भक्ति, मैत्री, शुद्धिने… शौर्यथी सजावजो
केसरियो रंग… (२०)
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