हे तपना अनुरागी, तमे पुरा सद्दभागी
के तपस्या करवानी, ईच्छा तमने जागी
हे तपना…
आ देहतणी प्रीति, तजवी बहु अघरी छे
एमां पण जीभडी ने, जीतवी तो कपरी छे
एनी स्वाद पीपासा ने, तमे समजण थी डाबी
हे तपना…
बांधेला कर्मोने, आ तप सळगावे छे
बंधाता कर्मोने, पण ते अटकावे छे
आत्माने भमवानी, हवे बीक जशे भागी
हे तपना…
महावीरना शासननी, तमे शान वधारी छे
तपस्यानी ज्योतिने, तमे जलती राखी छे
अमे इच्छीए तमने, मळे मुक्ति मनमांगी
हे तपना…
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