Mare To Levani Che Diksha Jain Diksha Geet मारे तो लेवानी छे दीक्षा जैन दिक्षा गीत

संयम ना भावनी करो ने परीक्षा

मारे तो लेवानी लेवानी छे दीक्षा


लेवानी लेवानी लेवानी छे दीक्षा

लेवानी मन भावनी लेवानी छे दीक्षा

लेवानी लेवानी मन भावनी छे दीक्षा


जीद कहो तो जीद परंतु, अहीं मुजने ना फावे

मुनिवर बनीने विहरतुं छे

मुनिवर बनीने विहरतुं छे

पळ पळ आनंद आवे

साधु पणानी हुं चाहुं तितिक्षा

मारे तो लेवानी लेवानी... [१]


खावू पीयूँ हरवू फरवू शुं छे आ ज जीवन

लडवू - झगडवू मळवू रझळवू

लडवू - झगडवू मळवू रझळवू

आ ते केवू जीवन

झंखे हवे हैयुं वैरागी भिक्षा

मारे तो लेवानी लेवानी... [२]


आ मारी माता, आ मारा पिता, आ मारा भाई बहेन

संसारी सगपणथी अदकेरा लाग्या

संसारी सगपणथी अदकेरा लाग्या

मुनिवरना ढळता नैन

साचा संबंधनी मेळववा शिक्षा

मारे तो लेवानी लेवानी... [३]


मीठा मधुरा ने मनगमता पाम्यो छु परमात्म

ज्ञानी द्यानी श्रमण पुष्पोथी

ज्ञानी द्यानी श्रमण पुष्पोथी

मधमधतुं जिन शासन

अनंता भवोनी अनंती प्रतीक्षा

मारे तो लेवानी लेवानी... [४]

टिप्पणियाँ