Dhar Talvarni Sohili Dohili Anantnath Bhagwan

Dhar Talvarni Sohili Dohili Anantnath Bhagwan Jain Stavan Hindi Lyrics


धार तलवारनी सोहिली दोहिली, चउदमा जिनतणी चरणसेवा; 

धार पर नाचतां देख बाजीगरा, सेवना धार पर रहे न देवा...


एक कहे सेवीए विविध किरिया करी, फल अनेकांत लोचन न देखे; 

फल अनेकांत किरिया करी बापडा, रडवडे चार गतिमांहे लेखे…


गच्छना भेद बहु नयण निहाळतां, तत्त्वनी वात करतां न लाजे; .

उदरभरणादि निज काज करतां थकां, मोह नडिया कलिकाल राजे... 


वचन निरपेक्ष व्यवहार जूठो कह्यो, वचन सापेक्ष व्यवहार साचो; 

वचन निरपेक्ष व्यवहार संसार फल, सांभळी आदरी कांई राचो.... 


देव गुरु धर्मनी शुद्धि कहो किम रहे, किम रहे शुद्ध श्रद्धान आणो;  

शुद्ध श्रद्धान विण सर्व किरिया कही, छार पर लींपणुं तेणे जाणो... 


पाप नहीं कोई उत्सुत्र भाषण जिस्यो, धर्म नहीं कोई जग सूत्र सरीखो. 

सूत्र अनुसार जे भविक किरिया करे, तेहनुं शुद्ध चारित्र परीखो…


एड उपदेशनो सार संक्षेपथी, जे नरा चित्तमां नित्य ध्यावे; 

ते नरा दिव्य बहु काळ सुख अनुभवी, नियत ‘आनंदवन’राज पावे…

टिप्पणियाँ