Suno Chanda Ji Simandhar Jain Stavan hindi

सुणो चंदाजी ! सीमंधर परमातम पासे जाजो;

मुज विनतडी प्रेम धरीने,

एणी पेरे संभळावजो.

सुणो चंदाजी…


जे त्रण भुवननो नायक छे,

जस चोसठ ईंद्र पायक छे;

नाण दरीसण जेहने क्षायक छे. सुणो .. १


जेनी कंचनवरणी काया छे,

जस धोरी लंछन पाया छे ;

पुंडरिगिणी नगरीनो राया छे. सुणो .. २


बार पर्षदामांही बिराजे छे,

जस चोत्रीस अतिशय छाजे छे ;

गुण पांत्रीश वाणीए गाजे छे. सुणो .. ३


भविजनने जे पडीबोहे छे,

तुम अधिक शीतल गुण सोहे छे ,

रूप देखी भविजन मोहे छे. सुणो .. ४


तुम सेवा करवा रसियो छुं,

पण भारतमां दुर वासियो छुं;

महामोहराय कर फसियो छुं. सुणो .. ५


पण साहिब चित्तमां धरीयो छे,

आणांखडग कर ग्रहियो छे,

तो कंईक मुजथी डरीयो छे. सुणो .. ६


जिन उत्तम पूंठ हवे पूरो,

कहे पद्मविजय थाउं शूरो ;

तो वाघे मुज मन अति नूरो. सुणो .. ७

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