He nath Simandhar Prabhu Jain Stavan Lyrics

हे नाथ! सीमंधर प्रभु!

सुणजो कहुं छुं वात हुं!

तमने निरखवा हर पळे

झंखी रह्यो दिनरात हुं!

कां आपश्री आवो कहीं,

अथवा मने बोलावी हो!

हुं छुं तमारो एटलुं नक्की,

मने स्वीकारी लो!


स्वामी! तमे छो दूर,

खूब ज दूर महाविदेहमां!

आवी शकुं त्यां एटली

शक्ति नथी मुज देहमां!

दिलमां परंतु देव!

तमने पामवानी प्यास छे!

मुज प्यास ने मिटावजो प्रभु!

एक बस अभिलाष छे!


हुं केम आवुं तुज कने,

नथी पांख मारी पास रे!

त्यांथी मने जोई शके छे,

आंख तारी पास रे!

तुं दूर मुजथी हो भले,

पण हुं निकट तुज साव रे!

मिट मांडी बेठो छुं प्रभु!

तुं आव सत्वर आव रे!


क्यारे मळीश, क्यारे बनीश,

धन्यातिधन्य कृतार्थ हुं!

झळहळ निहाळीश प्रातिहार्यो,

सांभळीश परमार्थ हुं!

आ सृष्टिनुं सौन्दर्य

सर्वोत्तम नजर सामे हशे!

मुज ह्रदय आनंदित हशे

मुज देह रोमांचित थशे!


प्रभुवदनने निरख्या करीश,

प्रभुचरणने चूमतो रहीश!

प्रभु मिलनना आनंदमां

नाची उठीश, झुमतो रहीश!

मुज चरण थनगनता हशे!

मुज ह्रदय रणझणतुं हशे!

मुज रोमरोमे हरखना

दीवडा झळाहळ प्रगटशे!


मन मूकीने नाचीझुमी,

बेशी जईश प्रभु चरणमां!

प्रभु चरणने डुबाडी दईश

हर्षाश्रुओना झरणमां!

आंखों मींची गद् गद् थई

आभार मानीश नाथनो-

“करुणा करी हे प्रभु!

तमे आपी मने अदभुत क्षणो!"

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