Chandraprabh Chitma Vasya Lyrics Jain Stavan

Chandraprabh Chitma Vasya Lyrics Jain Stavan

राग: वैष्णव जन तो तेने कहिये जे


चंद्रप्रभ चित्तमां वस्या रे, जीवन प्राण आधार रे,

तुम विण को दीसे नहीं रे, भविजनने हितकार रे.

चंद्रप्रभ चित्तमां… ।।१।।


निशदिन सूतां जागतां, चित्त धरे ताहरुं ध्यान रे,

रात-दिवस तलसे बहु रे, रसना तुम गुण गान रे.

चंद्रप्रभ चित्तमां… ।।२।।


माहरे तुम सम को नहि, मुज सरिखा तुज लाख रे,

तोहि निज सेवक गणी रे, कांईक करुणा दाख रे.

चंद्रप्रभ चित्तमां… ।।३।।


अंतरजामी तुं खरो, न गमे बीजा नाम रे,

सेवक अवसरे आवीयो, राखो एहनी लाज रे.

चंद्रप्रभ चित्तमां… ।।४।।


करुणावंत कृपा करीने, आपो निजपद वास रे,

उदयरत्न एम उच्चरे रे, दीजे तत्व सुवास रे.

चंद्रप्रभ चित्तमां… ।।५।।


 रचयिता: पू. गणीवर्य श्री उदयरत्न विजयजी म.सा.


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