Aise Swami Suparshwa Se Dil Laga Lyrics Jain Stavan
ऐसे स्वामी सुपार्श्व से दील लगा दु:ख भगा,
दुःख भगा, जगतारणा, सुख जगा, जगतारणा;
राजहंसकुं मान सरोवर, रेवा-जल जयुं वारणा;
खीर सिंधु जयुं हरिको प्यारो, ज्ञानीकुं तत्त्वविचारणा
ऐसे… (१)
मोरकुं मेह चकोरकुं चंदा, मधुं मन्मथ चित्त ठारना;
फुल अमूल भमरकुं अंबही, कोकिलकुं सुखकारणा
ऐसे… (२)
सीताकुं राम काम जयुं रतिकुं, पंथीकुं घर-बारणा;
दानीकुं त्याग, योग बंभनकुं, जोगीकुं संजम धारना
ऐसे… (३)
नंदनवन जयुं सुरकुं वल्लभ, न्यायीकुं न्याय निहारना;
त्युं मेरे मन तुं ही सुहायो, ओर तो चित्तसे उतारना
ऐसे… (४)
श्री सुपार्श्व दर्शन पर तेरे, कीजे कोडि उवारणा;
श्री नयविजय विबुध सेवककुं, दियो समतारस पारणा
ऐसे… (५)
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें