Chhodi ne Sanshar छोडीने संसार

Chhodi Ne Sanshar Jain Stvan Lyrics

छोडीने संसार जैन स्तवन 


( राग : एक वीतराग . . . ) 
छोड़ीने संसार , मारे करवो आत्मोद्धार छे , 
त्यागीने संसार , मारे करवो आत्मोद्धार छे , प्रभु देशनानो सार छे . 
संसार असार छे , संयम जीवन सार छे , 
छोड़ीने संसार . . . . 1 

कोई सुखने चाहे छे , पण सुख नथी मळतुं , एनुं मन थाके छे , 
कोई सुखने चाहे छे , पण सुख नथी मळतुं , त्यागभाव जागे छे हो... 

आवा त्यागने दुखगर्भित कहेवाय छे , 
क्षणिक कहेवाय छे , छोड़ीने आ वैरागने . . . 2 

मिथ्या वचन सुणी , संसारने छोड़े , संयम शुद्ध ना पाळे हो...
मिथ्या वचन सुणी , संसारने छोड़े , स्वछंदता ना त्यागे हो...
आवा त्यागने मोहगर्भित कहेवाय छे , 
आवा त्यागने मोहगर्भित कवाय छे , ए तो व्यर्थ जाय छे . . . 3 

तत्त्वोने समजीने , गुणोने धारीने , संसारनो त्याग करे हो... 
तत्वोने समजीने , गुणोने धारीने , गुरुनो स्वीकार करे हो...
आवा त्यागने ज्ञान गर्भित कहेवाय छे , मोक्षभूमि जवाय छे हो...
आवा वैरागने ज्ञान गर्भित कहेवाय छे , 
जेथी मोक्षे जवाय छे . . . 4 

त्यागी बनवूछे , वैरागी बनवूछे , वीतरागी बनवू छे , 
त्यागी बनवूछे , वैरागी बनवूछे , गुणानुरागी बनवू छे , 
गुरु जयन्तसेन शिष्य निपुण कहेवाय छे , आनंद वर्ताय छे . . .  5

पू . मुनि श्री निपुणरत्न वि . म . सा . 
( त्रिस्तुतिक समुदाय )

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