Aa Kesh Nu Lunchan Che - आ केशनुं लुंचन छे
( राग : संसार है एक नदियां )
आ केशनुं लुंचन छे , आ कर्मनु लुंचन छे ,
कषायो छे काळा , तेनुं आ लुंचन छे . . . 1
नारकमां दुःख वेठ्या , तिर्यंचमां दुःख वेठ्या ,
आ तो जिन आणा छे , भव दुःखनुं भंजन छे . . . आ केशनुं. . . 2
महासत्त्वना धारक जे , महापुण्यना धारक जे ,
ते लोच करे होशे , अविचल जेनुं मन छे . . . आ केशनुं . . . 3
हँसता बांध्या कर्मो , ते रोता ना छूटे ,
लुंचन करता करता , पलमां बंधन तूटे . . . आ केशनुं . . . 4
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