Upkar उपकार स्मृति


दीक्षानी पूर्व संन्ध्याए प्रभु भक्ति
उपकार स्मृति 


( राग : ओ री चिरैया ) 

पल - पल संभारु , कदी ना विसारु , 
तमे जे कहेलुं ते प्रभु ! 
सारे सुख छे क्यां ! 
संयम ज्यां , सुख छे त्यां , 
मुजने गमे छे , मनमां रमे छे , 
तमे जे कहेलुं ते प्रभु ! . . . 1 

साचुं सुख एटले शुं जणाव्युं तमे 
एनुं सरनामुं साचुं जणाव्युं तमे , 
चोक्खो नकशो तमे मारे हाथे धर्यो , 
पूरो उत्साह पण मारे हैये भर्यो , 
याद आवे बहु जे कहेलुं तमे . . . पल - पल संभारु . . . 2 

भौतिक सुखनी आशा तो पागल करे 
दौड़ावे रातदिन अंते घायल करे 
भोगे तृष्णा वधे , त्यागे तृप्ति मळे 
संयममां शांति छे , अंते मुक्ति मळे 
पहेरी राखी छे वचनोनी माळा हवे . . . पल - पल संभारु . . . 3 

पू . पं . श्री मोक्षरति वि . म . सा . 
( श्री रामचंद्रसूरिजी समुदाय )

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