ऐसी दशा हो भगवान......
ऐसी दशा हो भगवान जब प्राण तन से निकले,
गिरिराज की हो छाया... मन में न होवे माया,
तप से हो शुद्ध काया... जब प्राण तन से निकले
ऐसी दशा.....
उर में न मान होवे... दिल एक तान होवे
तुम चरण ध्यान होवे... जब प्राण तन से निकले
ऐसी दशा.....
संसार दुःख हरना... जैन धर्म का हो शरणा
वो कर्म-भर्म खरना... जब प्राण तन से निकले
ऐसी दशा.....
अनशन को सिद्धवट हो... प्रभु! आदिदेव घट हो
गुरुराज भी निकट हो... जब प्राण तन से निकले
ऐसी दशा.....
यह दान मुझको दीजे... ईतनी दया तो कीजे,
अरजी तिलक की लीजे जब प्राण तन से निकले
ऐसी दशा.....
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