वर्षीतप के तपस्वियों की अनुमोदनार्थ थोड़े शब्द

🔹 *।। कर्म खपावे चिकणा, भाव मंगल तप जाण; 50 लब्धि उपजे, जय जय तप गुणखाण ।।*

🔸 *'तप' नाम नु हथियार आपणा हाथ मा आपी ने अरिहंत भगवंते कमाल करी नाखी छे। अनंत भूतकाळ मा बाँधेला कर्मो नो क्षय 'तप' द्वारा ज थई शके छे। तप ना प्रभाव थी जीवन पर खड़ाकाता कठिन 'कर्म' ना कचरा आपो आप विलय पामे छे। मस्तक पर तोलाती विपत्ति नी तलवारों नीचे नमे छे। अंतर मा शुभ भावनाओ नो तेजस्वी प्रकाश पथराय छे। जीवन ने प्रजाली रहेला विकार-वासना अने विलास आदि महाविषो नष्ट थई मोहमाया ना बंधनो थी मुक्ति मले छे।*

🔹 *आगमो अने शास्रो मा कह्यू छे के अनंत भवों मा भवभ्रमण करता करता आपणे एटली वस्तुओं खाई चुक्या छिऐ के ते बधी वस्तुओं नु वजन करवा मा आवे तो मेरु पर्वत ना वजन करता पण वधी जाय !* 

🔸 *आवी आ मेरु पर्वत जेवी आहार संज्ञा ने तोड़वा माटे तमे जे आ श्रेष्ठ तप कर्यो छे तेना थी तमे आ अनंत भवो थी चाली आवती आहार संज्ञा पर एक मोटो घात कर्यो छे।* 

🔹 *आप लोको ए आवु उत्कृष्ट तप करी ने शासन प्रभावना करी छे तथा कुटुंब नु नाम रोशन कर्यु छे। तमारा आवा तप थी अमने बधा ने पण भविष्य मा आवु तप करवा नु inspiration मलशे।* 

🔸 *जैन शासन मा 12 भवनाशिनी भावनाओ विषे कहेवा मा आव्यू छे। तेमाथी 10 नंबर नी भावना छे 'निर्जरा भावना'। सम्यग रीते करेलु तप ए निर्जरा भाव नो प्राण छे।*

🔹 *आपणे लोको जे नित्य कर्मो नो बंध करी रह्या छिऐ, तेमा थी खाली 1 मिनिट ना कर्म थी 1 कोड़ा कोड़ी सागरोपम थी थोडो ओछो काल एटले के लगभग चोथा आरा जेटला काल सुधी संसार मा फरवू पड़े तेटला भव थाय छे।*

🔸 *जो आ रीते बधा कर्मो आपणे कर्या ते प्रमाणे क्रम वार भोगववा जईये तो आपणो कोई दिवस आरो ना आवे।*

🔹 *निर्जरा भावना द्वारा आ ज कर्मो नो बहु ज ओछा समय मा निकाल थई शके।*

🔸 *हे, पुण्यशालि भव्यात्माओ ! तमे आ रस्ते एक बहु मोटू पगलु भरी ने अमारा बधा माटे एक उत्तम उदाहरण पुरु पाड्यू छे।*

🔹 *400 दिवस जेवा लांबा काल मा पण तमे तप नी साथे नित्य प्रभु दर्शन -प्रभु*
*पूजा-सामायिक-प्रतिक्रमण आदि आवश्यक क्रियाओं पण खूब भाव साथे चालु राखी ने तमे आत्मा ना अखुट सत्व नो परिचय आप्यो छे।*

🔸 *तमारा आ तप मा वैयावच्च करनार दरेक भाग्यशाली नी अमे खरा हृदय पूर्वक अनुमोदना करिए छिऐ। आ ज रीते भविष्य मा पण तमे अनुपम तप साधना करता रहो तेवी अंतर नी अभिलाषा।*

🔹 *आ हुंडा अवसर्पिणी काल ना पंचम आरा मा ज्यारे अधिकांश लोको विषय-कषाय ना चक्कर मा पड़ी भौतिकतावाद - उपभोक्तावाद मा पागल थई चुक्या छे, त्यारे तमे आत्मा ने लक्ष्य मा राखी ने तप धर्म नी जे यात्रा आरंभी छे तेनु वर्णन करवा शब्दो ओछा पडे छे।*

🔸 *आप सर्वे वर्षीतप ना तपस्वियों ने जिन शासन प्रभावना रूप श्रेष्ठ तप करवा माटे दिल थी अनुमोदना। शाता मा रहेजो।*

*🌷तपस्वी नो जय जय कार, तपस्वी अमर रहो।*

   *🙏सौजन्य : बाल जीव*

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