Vir Bhajale Re Bhai Vir Bhajale

तर्ज:- पल्लो लटके

 

वीर भजले रे

      भाई वीर भजले

वीर भजले रे भाया वीर भजले

जरा सो होय ..२

जरासो केणो मारो मान ले

तुं वीर भजले

वीर भजले . रे भाया वीर भजले

 

मुठ्ठी बांधे आयो रे जगत में,

हाथ पसारे जासी

जरा धर्म री करले कमाई,

याही अडी ज आसी;

जरासो केणो मारो मान ले

तुं वीर भजले

 

जवानी री अकड़ाई में,

तू टेडो मेडो चाले,

पण थने इतनी नहीं मालम रे,

काले कोई ज होसी;

जरासो केणो मारो मान ले

तुं वीर भजले

 

मोह माया में झुम रह्यो तुं,

कर रह्यो थारी मारी

ज्ञान धर्म री बात कहे जद,

लागे थाने खारी रे

जरासो केणो मारो मान ले

तुं वीर भजले

 

छोटी मोटी बनी रे हवेली,

अटे पड़ी रह जासी

दो गज कफन से टुकडो रे भाया,

आखिर साथ निभासी रे;

जरासो केणो मारो मान ले

तुं वीर भजले

 

पोमणो आयो चार दिनों रो,

अब संसार मां माइ,

काल काकाजी रो आसी तेडो,

करट पकडले जासी;

जरासो केणो मारो मान ले

तुं वीर भजले

 

राजस्थान मंडल केवे रे भायो

ओ दिन फिर नहीं आसी,

प्रभु भजन नहीं कियो रे बावला,

फिर पिछे पछतासी;

जरासो केणो मारो मान ले

तुं वीर भजले

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