Modi Patni

*🌹 मोदी - पत्नी 🌹*
*भारतीय संस्कृति के उज्जवल इतिहास के सुवर्णपृष्ठों पर कई शीलसंपन्न नारियों के नाम अंकित हुए हैं । चंदनबाला , राजिमती , ब्राह्मी और सुंदरी जैसी महासतियों का रोज प्रातःकाल में स्मरण किया जाता है । शील के अद्वितीय प्रभाव के कारण ही उन्हें प्रातःस्मरणीय बनाया हैं ।*

*नारी के शील का प्रभाव विभीन्न प्रकार से अभिव्यक्त होता हैं । उसके तेजस्वी व्यक्तित्व के आगे महापापी , प्रबल विरोधी या दुराचारी व्यक्ति भी झुक जाता हैं ।*

*जिनशासन के इतिहास में मोदी-पत्नी की ऐसी कथा प्राप्त होती है । नगर का राजा मोदी-पत्नी के अपार सौंदर्य पर मुग्ध हुआ । उसने मन -ही -मन सौंदर्यवती मोदी-पत्नी को प्राप्त करने का विचार किया ।*

*वासना की अग्नि विचारशक्ति को बुझा देती है , इसी तरह प्रजा का पालनहार राजा प्रपंच का खिलाड़ी बना ।*

*मोदी-पत्नी को प्राप्त करने के लिए उसने मोदी को दूर विदेश में भेज दिया । मोदी की अनुपस्थिति में राजा ने मोदी-पत्नी को आकर्षित करने का प्रयत्न किया । एक बार राजा ने अपनी ओर से मोदी-पत्नी को कहलवा भेजा कि वह उसके वहाँ भोजन के लिए आना चाहता हैं ।*

*मोदी-पत्नी राजा के मन की इच्छा परख गई थी । राजा की माँग का इन्कार करना यह आतिथ्य का ही इन्कार नहीं था , बल्कि महासंकट को निमंत्रण था । अतः राजा की इच्छा का सविनय स्वीकार किया गया । भोजन के लिए पधारे हुए राजा का उचित आदर-सत्कार किया गया । उसके बाद मोदी -पत्नी भोजनथाल लाई । इस भोजनथाल में भिन्न-भिन्न रंग तथा आकार के प्यालों में खीर परोसी गई थी । राजा ने सोचा कि हरेक प्याले में खीर होगी , परंतु उसका स्वाद भिन्न होना चाहिए । इसलिए राजा एक के बाद एक प्यालें में से खीर चखने लगा । उसे बहुत ही आश्चर्य हुआ । सभी प्यालों में एक ही प्रकार के स्वादवाली खीर थी ।*

*राजा ने मोदी-पत्नी से कहा , " अरे ! एक ही प्रकार की खीर को अलग-अलग प्यालें में देने का कारण क्या ? "*

*मोदी-पत्नी ने उत्तर दिया , " हे प्रजापालक राजा ! राज्य की प्रजा तो आपकी संतान है । आप मैरे पिता समान है । इससे अधिक तो क्या कहूँ ? मात्र इतना ही कि भिन्न-भिन्न प्यालें हों , पर उनमें खीर तो एक ही होती हैं , उसी तरह भिन्न-भिन्न नारियाँ हों , फिर भी आखिर तो वे सब नारियाँ ही हैं ! "*

*राजा मोदी-पत्नी की बात सुनता रहा । मोदी-पत्नी ने कहा , " केवल जिसका चित्त बंदर की तरह चंचल हो वही एक डाल से दूसरी डाल पर छलाँग लगाये , स्वस्त्री को तजकर परस्त्री का विचार करें । बाकी तो हे राजन ! जिस स्त्री के शरीर पर आप मुग्ध हुए हैं , उस स्त्री का शरीर भी रक्त , मांस और अशुचि से परिपूर्ण हैं , यह आप जानते हैं ।"*

*राजा को विचार में डूबा हुआ देखकर मोदी-पत्नी ने और प्रश्न किया , " हे पुरुषश्रेष्ठ ! स्त्री की कोख से ही पुरुष का जन्म होता हैं , इसलिए परस्त्री उसके लिए माता समान होनी चाहिए । प्रत्येक पुत्र प्राण का बलिदान देकर भी अपनी जननी की रक्षा करता हैं । नारीरक्षण ही तो पुरुष का सच्चा पुरुषार्थ हैं । जबकि नारी को हैरान या परेशान करनेवाले मनुष्य का परमात्मा के चरणों में भी कोई स्थान नहीं हैं । "*

*मोदी-पत्नी की मार्मिक बातों ने राजा के हृदय में शुभ भाव जगाये । उसने कहा , " हे राजन ! आप राजा है इसलिए मैरे पिता समान हैं । परस्त्री मात हो , इस दृष्टि से आप पुत्र समान हैं । इसलिए मेरे सतीत्व की रक्षा कीजिए । नरकगति तजकर मोक्षमार्ग अपनाइए । "*

*राजा के विकारी चित्त में में से मोदी-पत्नी के वचनों ने वासना को गला डाला । राजा ने अपने मलिन विचारों के लिए मोदी-पत्नी की क्षमा-याचना की । शीलवती मोदी-पत्नी की तेजस्विता देखकर राजा प्रसन्न हुआ ।*

*एक सवाल 🙋मोदी पत्नी की मार्मिक बातो से राजा पर क्या प्रभाव पड़ा ❓* 

*साभार*
 *जिनशासन की कीर्तिगाथा*

     *🏳️‍🌈जैनम जयति शासनम 🏳️‍🌈*

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