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             *वितराग वाटिका

Topic -::- *श्रीपाल रास के आधार पर किसने किससे कहा..!!*🙏🏻👍


1️⃣ *"रानी जी!!हमारा दुर्भाग्य है कि सम्राट अचानक चल बसे। मृत्यु के आगे हम सभी लाचार है..!! एक क्षत्रिय की मृत्यु पर इस तरह रोना उचित नहीं है..!! चिंता छोड़ आप कृपा कुमार और राज्य की तरफ ध्यान दे..!!"*
🆗 *मंत्री जी मतिसागर जी ने रानी कमलप्रभा जी से कहा..!!*

2️⃣ *"सभी जीवात्मा अपने पूर्व एवं वर्तमान कर्म के अनुसार ही सुख-दुःख प्राप्त करते है, उसमे न कोई कम कर सकता है न ही बढ़ा सकता है..!!*"
🆗 *मयणासुंदरी जी ने पिता प्रजापाल जी से कहा!!*

3️⃣ *"सूर्य कभी पश्चिम दिशा में नहीं उगता है, समुद्र कभी अपनी मर्यादा का लोप नहीं करता इसी प्रकार सती स्त्री जीवन में एक ही को पति के रुप में स्वीकार करतीं हैं..!!"*
🆗 *मयणासुंदरी जी ने अपने पति उबर राणा जी से कहा..!*

4️⃣ *"यंत्र-तंत्र-जड़ी-बुटी-मणिमंत्र-ओषधि आदि उपचार बताना जैन साधुओं का आचार नही है..!"*
🆗 *जिनगुरु मुनिचन्द्रसुरिश्वरजी ने मयणासुंदरी जी से कहा..!!*

5️⃣ *हे पुत्र!!!सुन.. मैं तेरी औषध के लिए एक गांव से दूसरे गांव जा रही थी तब मार्ग में सुना कि कौशांबी नगरी में एक वैद्यकशास्त्र निपुण वैद्य है। इसलिए मैं कौशांबी की ओर जा रही थी, बीच में मुझे एक ज्ञानी गुरु महाराज मिले..!!'"*
🆗 *माता कमलप्रभा जी ने पुत्र श्रीपाल जी से कहा..!!*

6️⃣ *हम जिनेश्वर भगवान के मंदिर में 'निसीही' कहकर आये है अतः संसार की बातें करने से आशातना होती है..!!"*
🆗 *मयणासुंदरी जी ने अपनी माता रुपसुंदरी जी से कहा..!!"*

7️⃣ *"यदि हमारे वचन पर विश्वास न हो तो आप खुद हमारे झुंड में घूम कर देख लो..!!परंतु यदि हमारे झुंड में देखने जाओगे तो हमारे स्पर्श से यह असाध्य कोढ़ रोग तुम्हारे शरीरको लग जायेगा..!!"*
🆗 *"700 कोढ़ियों के सरदार ने अजितसेन जी के सैनिकों से कहा..!!*

8️⃣ *"धिक्कार है मुझे कि लोग मेरे ससुर के नाम से मुझे पहचानते है..!!"*
🆗 *श्रीपाल राजा ने मन में सोचा..!!*

9️⃣ *"हे पुत्र..!!! मैं तेरे साथ ही आऊँगी, क्योंकि तू ही मेरी एक मात्र पूँजी है, इसलिए मैं तुझे एक क्षण भी अकेला नहीं छोड़ूँगी..!!"*
🆗 *माता कमलप्रभा जी ने पुत्र श्रीपाल जी से कहा..!!*

🔟 *"उत्तरसाधक के बिना मेरा मन स्थिर नहीं रहता, इसलिए हे स्वामी! मैं आपसे एक विनंती करता हूँ उसे स्वीकार कीजिए..!!"*
🆗 *साधक ने श्रीपाल जी से कहा..!!*

1️⃣1️⃣ *हे राजन्.!! मुझे बत्तीस लक्षणवाला पुरुष दिजिए..!!"*
🆗 *धवल सेठ ने राजा से कहा..!!*

1️⃣2️⃣ *" हे साहिबजी! सुनिए।यदि मेरा यह कार्य आप सिद्ध कर देंगे तो मेरे पाँच सौ (500) जहाजों का बंटवारा कर बराबर आधा भाग आप ले लिजियेगा..!!"*
🆗 *धवल सेठजी ने श्रीपाल जी से कहा..!!*

1️⃣3️⃣ *"हे पुत्री! मैंने जिनमंदिर में तेरे वर की चिंता की,इससे मुझे आशातना लगी और मंदिर के द्वार बंद हो गए..!!"*
🆗 *कनककेतु राजा ने अपनी पुत्री मदनमंजूषा जी से कहा..!!*

1️⃣4️⃣ *"हे भगवन्! आप कहिए कि मुझे बचपन में किस कर्म के उदयसे कोढ़ का भयंकर रोग हुआ??और भवांतर में (पूर्व भव में) मैंने ऐसे कौनसे अच्छे कर्म किए थे कि जिससे यह रोग नष्ट भी हो गया??"*
🆗 *श्रीपाल राजा जी ने अजितसेन मुनि जी को कहा..!!*

1️⃣5️⃣ *"हे प्राणेश.. चलो अपने भगवान आदिनाथ के मंदिर जाकर युगादिदेव के दर्शन करें, ऋषभदेव प्रभु के दर्शन करने से दुःख एवं क्लेश का नाश होता है..!!"*
🆗 *मयणासुंदरी जी ने उम्बर राणा जी से कहा..!!*

1️⃣6️⃣ *"किन्तु आज तू अकेली कैसे हैं?? तेरे साथ यह नररत्न कौन है???"*
🆗 *जिनगुरु मुनिचन्द्रसुरिश्वरजी ने मयणासुंदरी जी से कहा..!!*

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