simandhar swami

*भगवान सीमंधर स्वामी*

*1.श्री सीमंधर जिनवर, सुखकर साहिब देव,*
*अरिहंत सकलनी, भाव धरी करूँ सेव।।*

*2.महाविदेह क्षेत्रमा सीमंधर स्वामी, सोनानुं सिंहासनजी,*
*रूपानां त्यां छत्र बिराजे, रत्नमणिना दीवा दीपेजी;*
*कुंकुमवर्णी त्यां गहुंली बिराजे, मोतीना अक्षत सारजी,*
*त्यां बेठा सीमंधर स्वामी, बोले मधुरी वाणीजी;*
*केसर चंदन भाँ कचोळां, कस्तूरी बरासजी,*
*पहेली रे पूजा अमारी होजो, उगमते प्रभातेजी.*

*महाविदेह क्षेत्र में कुल ३२ विजय होती है, जिसमें से भगवान श्री सीमंधर स्वामी जंबू द्वीप के पूर्व महाविदेह की पुष्प कलावती विजय की राजधानी पुंडरिकिणी में हैं।*

*भगवान सीमंधर स्वामी का जन्म हमारी भरत क्षेत्र के सत्रहवें तीर्थंकर श्री कुंथुनाथ स्वामी और अठारहवें तीर्थंकर श्री अरहनाथ स्वामी के जीवन काल के बीच में हुआ था। भगवान श्री सीमंधर स्वामी के पिताजी श्री श्रेयंस पुंडरिकगिरी के राजा थे। उनकी माता का नाम सात्यकी था।*

*अत्यंत शुभ घड़ी में माता सात्यकी ने एक सुंदर और भव्य रूपवाले पुत्र को जन्म दिया। जन्म से ही बालक में मतिज्ञान, श्रुतज्ञान और अवधि ज्ञान थे।उनका शरीर 500 धनुष्य यानी 2000 हाथ लगभग 3000फुट ऊंचा है। राज कुमारी रुकमणी को उनकी पत्नी बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। जब भगवान राम के पिता राजा दशरथ का राज्य हमारे भरत क्षेत्र पर था, उस समय महाविदेह क्षेत्र में भगवान सीमंधर स्वामी ने दीक्षा अंगीकार करके संसार का त्याग किया था। यह वही समय था, जब पर बीसवें तीर्थंकर श्री मुनीसुव्रत स्वामी और इक्कीसवें तीर्थंकर श्री नमीनाथ की उपस्थिति के बीच का समय था।*

*दीक्षा के समय उन्हें चौथा ज्ञान उद्भव हुआ, जिसे मनःपयार्य ज्ञान कहते हैं। एक हज़ार वर्ष तक के साधु जीवन, जिसके बाद उनके चारों घाती कर्मों का नाश हुआ, और भगवान को केवळज्ञान हुआ।*

*भगवान के जगत कल्याण के इस कार्य में उनके साथ ८४ गणधर, १० लाख केवळी (केवलज्ञान सहित), 100 करोड़ साधु, 100 करोड़ साध्वियाँ, ९०० करोड़ पुरुष और ९०० करोड़ विवाहित स्त्री-पुरुष (श्रावक-श्राविकाएँ) हैं।* 

*उनके रक्षक देव-देवी श्री चांद्रायण यक्ष देव और श्री पाँचांगुली यक्षिणी देवी हैं।*

*महाविदेह क्षेत्र में भगवान सीमंधर स्वामी और अन्य उन्नीस तीर्थंकर अपने 84 लाख पूर्व की आयुष्य पूर्ण करने के बाद मोक्ष प्राप्ति करेंगे। उसी क्षण इस पृथ्वी पर अगली चौबीसी के सातवे व आठवें तीर्थंकर के बीच का समय होगा ।*

*सीमंधर स्वामी आदि 20 विहरमान के 5 कल्याणक दिन*
*1) च्यवन कल्याणक*
*श्रावण वद 1*

*2) जन्म कल्याणक*
*चैत्र वद 10*
*(कुंथुनाथ-अरनाथ के शासन बीच)*

*3) दीक्षा कल्याणक*
*फागुण सुद 3*

*4) केवलज्ञान कल्याणक चैत्र सुंद 3*
*(मुनिसुव्रत-नेमिनाथ के बीच)*

*5) मोक्ष कल्याणक*
*श्रावण वद 3*
*(आगामी चोबीसी के 7 वें उदय स्वामी*
*और 8वें पोटील प्रभु के काल में)*

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