*श्री नमिनाथ भगवान*
*मोक्ष कल्याणक*
*चैत्र वद १०*
*।। श्री मिथिला नंदन श्री नमिनाथ ने नम: ।।*
*प्रभु विचरते विचरते समेतशिखर पधारते है। वहा मासक्षमण का तप करके कार्योत्सर्ग मुद्रा में 1000 मुनिवरों के साथ चैत्र वदि 10 के दिन , मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र में मोक्ष में गये तब प्रभु का चारित्र पर्याय 2500 वर्ष का और 10000 वर्ष का आयुष्य पूर्ण हुआ था। प्रभु का प्रायः शासन 500000 लाख वर्ष तक चला।*
*।। चैत्यवंदन ।।*
*आतममां प्रणमी प्रभु, थया नमि जिनराज;*
*नमवुं उपशम क्षायिके, क्षयोपशमे सुखकाज.*
*नम्या न जे ते भव भम्या, नमी लह्या गुणवृंद;*
*नमि प्रभुजीए भाखियुं, सेवा छे सुख कंद.*
*आतममां प्रणमी रही ए, स्वयं नमी घट जोवे;*
*ध्यानसमाधि योगथी, आत्मशक्ति नहीं खोवे.*
*।। स्तवन ।।*
*श्री नमिनाथने चरणे नमतां, मनगमतां सुख लहीए रे;*
*भव-जंगलमां भमतां रहीए, कर्म निकाचित दहीए रे. श्री*
*समकित शिवपुरमांहि पहोंचाडे, समकित धरम आधार रे; श्री*
*जिनवरनी पूजा करीए, ए समकितनो सार रे. श्री.*
*जे समकितथी होय उपरांठा, तेना सुख जाये नाठा रे;*
*जे कहे जिनपूजा नवि कीजे, तेहनुं नाम न लीजे रे. श्री.*
*वप्राराणीनो सुत पूजो, जिम संसारे न थ्रूजो रे;*
*भवजलतारक कष्ट निवारक, नहि कोई एहवो दूजो रे. श्री.*
*कीर्तिविजय उवज्झायनो सेवक, विनय कहे प्रभु सेवो रे;*
*त्रण तत्त्व मनमांहि धारी, वंदो अरिहंतदेवो रे. श्री.*
*।। थोय ।।*
*नमि जिनेश्वर सेवा भक्ति, जगनी सेवा भक्तिजी,*
*निज आतमनी सेवा भक्ति, एक स्वरूपे शक्तिजी;*
*नाम रूपथी भिन्न निजातम, धारी प्रभु जे ध्यावेजी,*
*प्रारब्धे कर्मनो भोगी, तो पण भोगी न थावेजी. १*
*कल्याणक तप की आराधना विधि*
*तप -एकासणा - एक से अधिक कल्याणक होने पर आयंबिल*
*निचे प्रकार से विधि करे*
*विधि - १२ लोगस्स का काउसगग, १२ साथिया, उसके उपर १२ फळ और १२ नैवेध रखे १२ खमासमणा देवे*
*खमासमण देने के लिए दुहा*
*“परम पंच परमेष्ठीमां, परमेश्वर भगवान ;*
*चार निक्षेपे ध्याईए, नमो नमो श्री जिनभाण.*
*जाप - २० नवकारवाळी नीचे प्रमाण से गिने*
*।। जाप मंत्र ।।*
*ॐ ह्रीं श्री नमिनाथ स्वामी पारंगताय नम:*
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