*प्रश्न : ▪️गौतमस्वामी वीर प्रभु से पूछते है - कुछ बालक आपके शिष्य बनना चाहते है । उन्हें कैसे अनुमति दी जाय ❓* *वीर प्रभु इसका क्या उतर देते है ❓*
*उत्तर : ▪️वीर - " गौतम ! कसौटी सोने की भी होती है, हीरे की भी, कोई चमक कसौटी में बाधा नही बननी चाहिए, इस बात का ध्यान रखो ।*
*माँ पिता की अनुमति से दीक्षा दी जाए । बिना सहमति के संघ में प्रवेश मत दो । "*
*" गौतम ! मैंने अपने माता पिता को दु:ख न हो, उनके हदय में पीडा न हो इसका ध्यान रखा । अन्य धर्म गुरुओं के हजारों शिष्य है, अनुयायी है, इसलिए हम भी अनुयायी बनाये ❓*
*नहीं, हमें अनुयायी नही बनाना है । अनुयायी की आत्मा राग-द्वेष मोह से मूर्च्छित होती है "।*
*" गौतम ! श्रमण बनाना है जो आत्मश्रम करे । साधु बनाना जो स्व को साधे । साधक बनाना है जो जागे, आत्मा को जगाये । किसीसे स्पर्धा नही करनी है । "*
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