श्री वासुपूज्य स्वामी
दीक्षा कल्याणक
महा वद अमावस्या
||चंपापुरी तीर्थाधिपति श्री
वासुपूज्य स्वामी ने नमः||
प्रभु एक वर्ष तक हर दिन एक करोड़ आठ लाख सोना मोहर का दान
देते है। दीक्षा के लिये चंपापुरी नगरी में से दीक्षा का वरघोड़ा निकलता है। प्रभु
पृथिवी शिबिका में बैठकर विहारगृह वन में पधारते है। वहा अशोकवृक्ष के नीचे पाँच
मुष्ठी लोच करते है। प्रभु चतुर्थ भक्त का तप (चार उपवास ) कर अठारह लाख वर्ष की
प्रथम उम्र में महा वद अमावस्या के दिन कुंभ राशि और शतभिषक नक्षत्र में छह सौ के
साथ दीक्षा लेते है। तब प्रभु को चोथा मनपर्यवज्ञान होता है। दीक्षा के समय इंद्र
ने दिया हुआ देवदुष्य जीवनभर रहेता है।
विश्र्वोपकारकीभूत, तीर्थकृत्कर्मनिर्मित:।
सुरासुरनरै:पूज्यो,वासुपूज्य:पुनातु व: ।।
।। चैत्यवंदन ।।
वासव वंदित वासुपूज्य,चम्पापुरी ठाम,
वासुपूज्य कुल चन्द्रमा, माता जया नाम |
महिष लंछन जिन बारमा, सितेर धनुष प्रमाण,
काया आयु वरस वली, बोहेतर लाख वखाण |
संघ चतुर्विध थापिने अे ,जिन उत्तम महाराय,
तस मुख पद्म वचन सुणी, परमानंदी थाय ||
।। स्तवन ।।
वासुपूज्य जिन अंतरजामी त्रिभुवन स्वामी, घननामी परिणामी रे,
निराकार साकार सचेतन, करम करम फल कामी रे... वासुपूज्य...
निराकार अभेद संग्राहक, भेद ग्राहक साकारो रे;
दर्शन ज्ञान दुभेद चेतना, वस्तु ग्रहण व्यापारो रे.. वासुपूज्य...
कर्ता परिणामी परिणामो, कर्म जे जीवे करीए रे;
एक अनेक रूप नयवादे, नियते नर अनुसरीए रे... वासुपूज्य...
दु:ख सुखरूप करम फल जाणो, निश्चय एक आनंदो रे,
मारा चेतनता परिणाम न चूके, चेतन कहे जिनचंदो रे... वासुपूज्य...
ना परिणामी चेतन परिणामो, ज्ञान करम फळ भावी रे;
ज्ञान करम फळ चेतन कहीए, लेजो तेह मनावी रे... वासुपूज्य...
आतमज्ञानी श्रमण कहावे, बीजा तो द्रव्य लींगी रे;
वस्तुगत जे वस्तु प्रकाशे, ‘आनंदघन’ मत संगी रे... वासुपूज्य...
।। थोय ।।
विश्वना उपकारी,धर्मना अधिकारी,
धर्मना दातारी , काम क्रोधादि वारी |
तार्य नरनारी ,दुःख दोहग वारी,
वासुपूज्य निहारी ,जाऊ हु नित्य वारी ||
कल्याणक आराधना विधि
तप
ऐकासणा
विधि - १२ लोगस्स का काउसगग, १२ साथिया,उसके उपर १२ नैवेध और १२ फळ रखे
तथा १२ खमासमणा देवे ।
खमासमणा का दुहा :
"परम पंच परमेष्ठीमां, परमेश्वर भगवान
चार निक्षेपे ध्याईए, नमो नमो श्री जिनभाण.
जाप - २० नवकारवाळी नीचे प्रकार से गिने
जाप मंत्र
ॐ ह्रीँ श्री वासुपूज्य नमः
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें