Shravika Jayanti

*🌹 जयंती 🌹*
*भगवान महावीर के समय का एक तेजस्वी नारीरत्न यानी श्राविका जयंती । कौशांबी के सहस्त्रानिक राजा की पुत्री , शतानिक राजा की बहन और भगवान महावीर के परम भक्त राजा उदयन की बुआ थी । जैन धर्म के प्रति उसे अत्यंत गहरी श्रद्धा थी । भगवान महावीर के सिद्धान्तों को जानती थी और जीव-अजीव से सम्बन्धित तत्वज्ञान को गहराई से समझती थी । ज्ञान एवं क्रिया के समन्वय से जतनपूर्वक धर्म आराधना करती थी । साधु-साध्वियों की अपार श्रद्धासहित वैयावच्च करती थी । तत्वज्ञान की गहरी रुचि , प्रभावशाली वकृत्तव धर्ममय व्यक्तित्व धारक श्राविका जयंती भगवान महावीर के समय की उत्तम श्रमणोपासिका थीं ।*

*तीर्थकर भगवान महावीर केवलज्ञान प्राप्त करने के बाद तीसरे वर्ष कौशांबी के चंद्रावतरण चैत्य में पधारे थे । इसकी जानकारी प्राप्त होते ही सारा नगर उनका उपदेश सुनने आया । भगवान महावीर ने इस लोक और परलोक के लिए कल्याणकारी उपदेश दिया । जयंती श्राविका भी महारानी मृगावती के रथ में बैठकर प्रभु की देशना ( उपदेश ) सुनने आयी थी । प्रभु की वाणी विकसीत नयनों एवं प्रसन्नचित्त से सुनती थी । प्रभु की देशना समाप्त होने के बाद जयंती श्राविका प्रभु महावीर को दो हाथ जोड़कर मस्तक नवाकर वंदन करके , विनयपूर्वक अपनी जिज्ञासा विभीन्न प्रश्नों के रुप में अभिव्यक्त करने लगी । प्रभु ने अपनी सरल सुगम शैलो में जयंती के प्रश्नों के उत्तर दिये । अर्हत् धर्म का तत्व और उसके दार्शनिक पहलू जयंती को समझाये । जयंती के ये प्रश्न यह दर्शाते है कि ज्ञानप्राप्ति के लिए देश , काल या स्थिति अवरोधरुप नहीं बन सकतें । इसके अतिरिक्त भगवान महावीर के समय में भी नारीसमाज धर्मतत्व के प्रति कितना जागरुक था और विशिष्ट ज्ञानधारक धर्मगुरु के पास जाकर निःसंकोच रीति से अपनी शंकाओं का समाधान प्राप्त करता था , यह जयंती के प्रश्नों में उजागर होता हैं ।*

*जयंती : भगवान ! जीव जल्दी से भारी-भरकम -कर्मी किस तरह होता हैं ?*

*भगवान महावीर : हिंसा , झूठ ,चोरी , अनाचार ,संग्रहवृति आदि अठारह पापस्थानों के सेवन से जीव भारी होता हैं और जीव का भ्रमण बढ़ता हैं ।*

*जयंती : भगवन ! जीवों का दक्ष होना अच्छा या आलसी होना अच्छा ?*

*भगवान महावीर : कुछ जीवों का उद्यमी होना अच्छा है और कुछ जीवों का आलसी होना अच्छा है ।*

*जयंती : क्षमाश्रमण ! भला यह किस तरह ?*

*भगवान महावीर : जो जीव अधार्मिक है और अधर्म अनुसार विचरण करता है उसका आलसी होना अच्छा है । जो जीव धर्माचरण करता है उसका उद्यमी होना अच्छा है , क्योंकि धर्मपरायण जीव सावधान होता है और वह आचार्य , उपाध्याय , तपस्वी , संघ और साधर्मिक की वैयावृत्य ( सेवाचाकरी ) करता है ।*

*जयंती : भंते ! जीव सोया हुआ अच्छा या जागा हुआ ?*

*भगवान महावीर : कुछ जीवों का सोना अच्छा है और कुछ जीवों का जागना अच्छा है । अधर्माचरण करनेवाले और अधर्म से जीवननिर्वाह करनेवाले जीव सोते हैं , तब तक वे हिंसा से बचते है और अन्य जीव उनके त्रास से बचते है । उनका सोना उनके लिए और अन्य के लिए अच्छा है । जो जीव दयालु , सत्यवादी , सुशील और असंग्रही है , ऐसे जीव जागे इसमें उनका अपना और जगत का कल्याण है । क्रुर जीव सोयें यह अच्छा और परोपकारी जागें यह अच्छा ।*

*अपने प्रश्नों का समाधान प्राप्त करके हर्षित हुई जयंती ने भगवान से प्रव्रज्या ग्रहण की । ग्यारह अंग तक का अध्ययन करके अंत में बहुत तप करके मोक्ष प्राप्त किया ।*

*एक सवाल 🙋श्राविका जयंति का उदयन राजा से क्या रिश्ता था ❓*
*साभार :*
*जिनशासन की कीर्तिगाथा*

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