*प्रभु के दर्शन एवम् पूजा से प्राप्त होने वाले लाभ तथा फल:*
卐°प्रभु के दर्शन और पूजा से आठ कर्मो का नाश तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है.
卐 परमात्मा के दर्शन करने जाने की इच्छा करने से १ उपवास का लाभ मिलता है.
卐 परमात्मा के दर्शन करने जाने के लिये खडे होने से २ उपवास का लाभ मिलता है.
卐 परमात्मा के दर्शन करने जाने के लिये चलना शुरु करनेसे ३ उपवास का लाभ मिलता है.
卐 परमात्मा के दर्शन करने जाते आधे रास्ते पहुँचे १५ उपवास का लाभ मिलता है.
卐 परमात्मा के मंदिर शिखर की ध्वजा के दर्शन होने पर ३० उपवास का लाभ मिलता है.
卐 परमात्मा के दर्शन के लिये जिनमंदिर में प्रवेश करने पर ६ महीने के उपवास का फल मिलता है.
卐 परमात्मा का आखों से दर्शन करने से १ साल के उपवास का फल मिलता है.
卐 प्रभु के दर्शन मात्र से सुखों की संपदा, नवनिधि, सकल पदार्थ सिद्ध होते है.
卐 प्रभु के दर्शन करने वाले जगत में दर्शनीय बनतें है.
卐 प्रभु के वंदन करने वाले जगत में वंदनीय बनतें है.
卐 प्रभु की पूजा करने वाले जगत में पूजनीय बनतें है.
卐 प्रभु की सभी तरह से भक्ति करने वाली आत्मा परमात्मा बनती है.
卐 प्रभु के मंदिर मे कचरा निकालने से १०० उपवास का लाभ मिलता है. और जीव नीचकुल मे जन्म नहीं लेता है.
卐 परमात्मा की पूजा करने से १००० वर्ष के उपवास का लाभ मिलता है.
卐 प्रभु की प्रतिमा का शुद्धी करने से १०० उपवास का लाभ होता है.
卐 प्रभु का अभिषेक जल पूजा से आत्मा पर लगे हुए अनंत कर्मो का नाश होता है.
卐 प्रभु को चंदन से पूजा करने से शारीरक शाता और आत्मा को चंदन जैसी शीतलता मिलती है, कषायो का नाश होता है.
卐 परमात्मा की पुष्पपुजा करने से १ लाख वर्ष के उपवास का लाभ, मन के संताप दुर होते है, जीवन सद़गुणों से सुवासित बनता है
卐 प्रभु को धुप पूजा करने से आत्मा की मिथ्यात्व की दुर्गंध दुर होती है, सम्यकत्व की सुगंध मिलती है.
卐 प्रभु की दीपक पूजा करने से अज्ञान का नाश, केवलज्ञान रुपी महाप्रकाश की प्राप्ति ओर संसार के सभी दुःखों से मुक्ति.
卐 प्रभु की अक्षत पूजा से चार गति का नाश, करवा के आत्मा को अजन्मा बनाते है.
卐 प्रभु की नैवैद्य पूजा से आहार संज्ञा का नाश, तप करने की शक्ति मिलती है, जीव को अणाहारी पद की प्राप्ति होती है.
卐 प्रभु की फल पूजा से सर्व सर्वश्रेष्ठ मोक्ष फल प्राप्ति होती है.
卐 प्रभु की चामर, दर्पण, पंखा, गीत, नृत्य आदि से भक्ति करने से अनंतगुना पुण्य फल मिलता है.
卐 प्रभु की भाव पूजा स्तुती, स्तवन, चैत्यवंदन से अनंतगुना फल मिलता है.
卐 प्रभु की त्रिकाल पूजा से जीव को उच्चकुल की प्राप्ति, सौभाग्य आदि की प्राप्ति होती है.
卐 प्रभु की पूजा आत्मा को अपूर्ण से पूर्ण बनाती है, जन से जैन, और जैन से जिनेश्वर बनाती है.
卐 प्रभु की पूजा से उपसर्गों का नाश होता है, विध्नरुपी लताओं का विच्छेद होकर मन प्रसन्नता की प्राप्ति करता है.
🙏 *आपकी आत्मा का मोक्ष मार्ग प्रशस्त हो*
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें