*❤️श्री मल्लिनाथ परमात्मा मोक्ष #कल्याणक फाल्गुन सुद १२ ❤️*
*।। श्री मिथिला मंडन श्री मल्लिनाथ नम: ।।*
*🌹 प्रभु विचरण करते हुए समेतशिखर पधारते है। वहा मासक्षमण का तप करके , कार्योत्सर्ग मुद्रा में पाँच सौ के साथ फाल्गुन सुद बारस के दिन पूर्व रात्री को मेष राशि और भरणी नक्षत्र में मोक्ष में गये। तब प्रभु का चारित्र पर्याय चौपन हज़ार नौ सौ वर्ष का था और पंचावन हज़ार वर्ष का आयुष्य पूर्ण हुआ। परमात्मा का शासन चौपन लाख वर्ष तक चला था। प्रभु के शासन में एक दिन के बाद मोक्ष मार्ग शुरु हुआ था जो संख्यात पुरुष पाटपरंपरा तक चला था। प्रभु के शासन में स्त्री तीर्थंकर अच्छेरा हुआ था। प्रभु के भक्त राजा अजित थे। प्रभु के माता पिता महेन्द्र देवलोक में गये थे।*
*।।चैत्यवंदन ।।*
*मल्लिनाथ ओगणीशमा ,जस मिथिला नयरी;*
*प्रभावती जस मावड़ी ,टाले कर्म वयरी।*
*तात श्री कुंभ नरेसरु ,धनुष पचविशनी काय;*
*लंछन कलश मंगलकरु ,निर्मम निरमाय ।*
*वरस पंचावन सहसनु अे , जिनवर उत्तम आय;*
*पद्मविजय कहे तेहने ,नमता शिवसुख थाय ।।*
*।। स्तवन ।।*
*प्रभु मल्लि जिणंद शांति आपजो,* *कापजो मारा भवोदधिना पाप रे.*
*दयाळु देवा ,मल्लि जिणंद.1*
*वीतराग देवने वंदु सदा,*
*बालब्रह्मचारी प्रभु जग विख्यात रे.*
*दयाळु देवा ,मल्लि जिणंद.2*
*अक्ल अचल ने अमल तुं ,*
*कषाय मोह नथी जेने लवलेश रे.*
*दयालु देवा ,मल्लि जिणंद. 3*
*सर्प डस्यो छे मने क्रोधनो*,
*रगे रगे व्याप्युं तेनुं विष रे*.
*दयाळु देवा ,मल्लि जिणंद.4*
*मान पत्थर स्तंभ सरखो* ,
*तेने कीधो मने जड वान रे* .
*दयाळु देवा ,मल्लि जिणंद.5*
*माया डाकण वळगी मने*,
*आप विना नहिं कोई छोडावण हार रे*.
*दयाळु देवा, मल्लि जिणंद .6*
*लोभ सागरमां हुं पड्यो*
*डुबी रह्यो छुं भव दुःख अपार रे*.
*दयाळु देवा, मल्लि जिणंद .7*
*आप शरणे हवे हुं आवीयो*,
*रक्षण करो मारुं जगनाथ रे*.
*दयाळु देवा, मल्लि जिणंद. 8*
*अर्ज स्वीकारो आ दासनी*,
*ज्ञान विमल कहे प्रभुजी जग आधार रे*.
*दयाळु देवा ,मल्लि जिणंद .9*
*|| थोय ||*
*मल्लिजिन नमिये ,पूर्वला पाप गमिअे*,
*इंद्रिय गण दमिये , आण जिननी न क्रमीअे ।*
*भवमा नवी भमिये ,सर्व परभाव वमिये* ,
*निज गुणमां रमिये ,कर्म मल सर्व धामीअे ।*
*कल्याणक तप की आराधना विधि*
*तप - ऐकासणा*
*निचे प्रकार से विधि करे*
*विधि - १२ लोगस्स का काउसगग, १२ साथिया, उसके उपर १२ फळ और १२ नैवेध रखे १२ खमासमणा देवे*
*खमासमण देने के लिए दुहा*
*परम पंच परमेष्ठीमां, परमेश्वर भगवान* ;
*चार निक्षेपे ध्याईए, नमो नमो श्री जिनभाण*.
*जाप - २० नवकारवाळी नीचे प्रमाण से गिने*
*जाप मंत्र*
*ॐ ह्रीँ श्री मल्लिनाथ पारगंताय नम:*
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