*प्रश्न▪️- चारित्र के कितने भेद है ❓*
*जवाब▪️- पांचः- 1.सामायिक चारित्र 2.छेदोपस्थापनीय चारित्र 3.परिहार विशुद्धि चारित्र 4.सूक्ष्म संपराय चारित्र 5.यथाख्यात चारित्र ।*
*प्रश्न▪️- सामायिक चारित्र किसे कहते है ❓*
*जवाब▪️- सम् – समता भावों का, आय – लाभ हो जिस में, वह सामायिक है । समभाव में स्थित रहने के लिये संपूर्ण अशुद्ध या सावद्य प्रवृत्तियों का त्याग करना सामायिक चारित्र है ।*
*प्रश्न▪️- छेदोपस्थापनिय चारित्र किसे कहते है ❓*
*जवाब▪️- पूर्व चारित्र पर्याय का छेद करके पुनः महाव्रतों का आरोपण जिसमें किया जाता है, उसे छेदोपस्थापनिय चारित्र कहते है ।*
*प्रश्न▪️- परिहार विशुद्धि चारित्र किसे कहते है ❓*
*जवाब▪️- परिहार – त्याग या तपश्चर्या विशेष । जिस चारित्र में तप विशेष से कर्म निर्जरा रुप शुद्धि होती है, उसे परिहार विशुद्धि चारित्र कहते है ।*
*प्रश्न▪️- सूक्ष्म संपराय चारित्र किसे कहते है ❓*
*जवाब▪️- सूक्ष्म अर्थात् किट्टि रुप (चूर्ण रुप) अति जघन्य संपराय – बादर लोभ कषाय के क्षयवाला जो चारित्र है, वह सूक्ष्म संपराय चारित्र कहलाता है ।*
*प्रश्न▪️- यथाख्यात चारित्र किसे कहते है ❓*
*जवाब▪️- कषाय उदय का सर्वथा अभाव होने से अतिचार रहित एवं पारमार्थिक रुप से विशुद्ध एवं प्रसिद्ध चारित्र यथाख्यात चारित्र है ।*
*प्रश्न▪️- यथाख्यात चारित्र के कितने भेद है ❓*
*जवाब▪️- दो –1.छद्मस्थ यथाख्यात 2.केवली यथाख्यात ।*
*प्रश्न▪️- छद्मस्थ यथाख्यात चारित्र के कितने भेद हैं ❓*
*जवाब▪️- दो – 1.उपशांत मोह यथाख्यात 2.क्षीण मोह यथाख्यात ।*
*प्रश्न▪️- उपशांत मोह यथाख्यात चारित्र किसे कहते है ❓*
*जवाब▪️- ग्यारहवे गुणस्थानक में मोहनीय कर्म के उदय का सर्वथा अभाव हो जाता है और यह कर्म सत्ता में होता है, उस समय का चारित्र उपशांत मोह यथाख्यात चारित्र कहलाता है ।*
*प्रश्न▪️- क्षीण मोह यथाख्यात चारित्र किसे कहते है ❓*
*जवाब▪️- 12वें, 13वें, 14वें गुणस्थानक में मोहनीय कर्म का सर्वथा क्षय हो जाने के कारण उनका चारित्र क्षीण मोह यथाख्यात चारित्र कहलाता है ।*
*प्रश्न▪️- छद्मस्थ यथाख्यात चारित्र किसे कहते है ❓*
*जवाब▪️- 11वें, 12वें गुणस्थानक में उपरोक्त दोनों प्रकार का चारित्र छद्मस्थ यथाख्यात चारित्र कहलाता है ।*
*प्रश्न▪️- केवली यथाख्यात चारित्र किसे कहते है ❓*
*जवाब▪️- केवलज्ञानी के चारित्र को केवली यथाख्यात चारित्र कहते है ।*
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