प्रदक्षिणा त्रिक

प्र.प्रदक्षिणा शब्द से क्या तात्पर्य है ?

उ. भावपूर्वक परमात्मा के दायीं ओर से जो प्रारम्भ की जाती है, उसे प्रदक्षिणा कहते है l

 

प्र. प्रदक्षिणा परमात्मा के दायीं ओर से ही क्यों प्रारम्भ की जाती है

उ. दायीं दिशा ही मुख्य एवं पवित्र है और संसार के सभी शुभ कार्य दाहिने हाथ से ही प्रारम्भ होते है।

 

प्र.प्रदक्षिणा त्रिक को समझाइये

उ. अनादिकाल की भव भ्रमणा को मिटाने और रत्नत्रयी (दर्शन, ज्ञान व चारित्र) की प्राप्ति हेतु, जिनेश्वर परमात्मा के दायीं ओर से प्रारम्भ कर तीन बार परमात्मा की परिक्रमा करना, प्रदक्षिणा त्रिक है l

 

 प्र.प्रदक्षिणा के दरम्यान मन को कैसे एकाग्र करना होता है

उ.. भ्रमर जैसे कमल के आसपास घूमकर (मंडराकर) कमल में स्थिर होता है, वैसे ही तीन प्रदक्षिणा द्वारा मन को परमात्मा स्वरुप में एकाग्र करके - स्थिर करना l

 

प्र.प्रदक्षिणा से क्या लाभ होता है

उ. परमात्मा की प्रदक्षिणा देने से हमारे चारों ओर एक प्रकार का चुम्बकीय वर्तुल बनता है, विद्युत वर्तुल जो हमारे भीतर के कर्म वर्गणाओं को छिन्न भिन्न कर अपार कर्मों की निर्जरा करता है। 

 

प्र.प्रदक्षिणा तीन ही क्यों दी जाती है ?

उ. 1. ज्ञान, दर्शन और चारित्र रुपी रत्नत्रयी की प्राप्ति हेतु l

 2. त्रियोग शुद्धि- मन को विकार रहित करने, वचन को सात्विक करने और शरीर को अशुचि से मुक्त अर्थात् आत्मा को निर्मल बनाने हेतु परमात्मा की तीन प्रदक्षिणा दी जाती है l

3. जन्म, जरा, मृत्यु निवारण हेतु तीन प्रदक्षिणा दी जाती है l

 

प्र.संसार वर्धक व संसार नाशक कौनसी परिक्रमा (प्रदक्षिणा ) होती हैं l

उ. विवाह मण्डप में अग्नि के चारों ओर दी जाने वाली चार परिक्रमा (फेरे) संसार वर्धक होती है, जबकि परमात्मा को केन्द्र में रखकर दी जाने वाली प्रदक्षिणा संसार नाशक अर्थात् भवभ्रमणा को मिटाने वाली, अनंत कर्मों की निर्जरा करके अंत में परमात्मा स्वरुप को प्राप्त कराने वाली होती है। 

 

प्र. प्रदक्षिणा देते समय कौन-कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए

उ. 1. प्रदक्षिणा स्थल अंधकारमय नही होना चाहिए, वहां प्रकाश की उचित व्यवस्था होनी चाहिए ताकि ईर्यासमिति का पालन सुगमता से हो सके। 

2. प्रदक्षिणा देते समय दृष्टि जमीन पर होनी चाहिए ताकि जयणा का पालन सम्यक् रुप से कर सकें l

3. परिक्रमा स्थल यदि चारों ओर से बन्द हो तो मर्यादा रक्षार्थ यदि पुरुष प्रदक्षिणा में हो तो स्त्रियों को और यदि स्त्रियाँ प्रदक्षिणा दे रही हो तो पुरुषों को खड़ा रहना चाहिए l

4. प्रदक्षिणा देते समय विजातिय स्पर्श आपस में न हो इसका ख्याल रखना चाहिए। 

5. प्रदक्षिणा देते समय इधर-उधर देखना, कपड़ों को व्यवस्थित करना, आपस में वार्तालाप आदि कार्य कलाप नही करना चाहिए l क्योंकि ऐसे कार्य करने से पाप कर्म का बन्धन होता है l

6. पुजा की सामग्री हाथ में लेकर जयणा का पालन करते हुए प्रदक्षिणा देनी चाहिए। 

7. अधूरी प्रदक्षिणा देने अथवा द्रव्य पूजा के पश्चात् देने से अविधि का दोष लगता है।

8. जिनमंदिर में तीनों दिशा में स्थापित मंगल मूर्ति को नमस्कार करते हुए प्रदक्षिणा देनी चाहिए l

 

 प्र.प्रदक्षिणा देते समय मन में क्या भावना भानी चाहिए ? . 

उ.. हम समवसरण में साक्षात् तीर्थंकर परमात्मा की प्रदक्षिणा दे रहे है ऐसी भावना जिनमंदिर में मूलनायक परमात्मा के तीनों दिशाओं में दीवार में स्थापित मंगल मूर्ति को देखकर मन में भानी चाहिए l

 


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