#ब्रह्मदत्त_चक्रवर्ती_चरित्र 23
19/01/22
खंडा विशाखा से लग्न,
खंडा विशाखा ने ब्रह्मदत्त को भोजनादि से तृप्त करवाकर
सुखासन पर बैठाया। अपनी कथा सुनाना प्रारंभ किया।
वैताढ़य पर्वत की दक्षिण श्रेणी में शिवमंदिर नगर के नरेश
ज्वलनशिख जी हमारे पिता है। हमारे भाई का नाम है नाट्योन्मत्त । एकबार हमारे पिता
व उनके मित्र अग्निशिख वार्तालाप कर रहे थे तब उन्होंने आकाशमार्ग से जाते हुए
देवो को देखा। वे मुनीश्वरो को वंदन करने जा रहे थे। उन देवों को देखकर हमारे पिता
व उनके मित्र को भी मुनिदर्शन व उनके वंदन की इच्छा हुई। सब के साथ उन्होंने महात्माओको
वंदन करने जाने का निश्चय कर लिया । उन्होंने हमें सूचित किया। हम भी उनके साथ
जाने को ततपर हो गए। हम विद्याधरों के लिए कहीँ भी आवागमन करना सहज है।
(सभी भरत ऐरावत व महाविदेह की
प्रत्येक विजय के बीचों बीच लम्बा वैताढ़य पर्वत होते है। 25 योजन ऊंचे इस पर्वत के समभूमि से 10 योजन ऊपर विद्याधर मनुष्यो के दोनो दिशाओमे कुल 110 नगर होते है। ये मनुष्य हमारी तरह ही होते है। परंतु उनके
पास बहुत विद्याएं (लब्धि ) होती है। कम से कम एक व उत्कृष्ट 48000 विद्याएं हो सकती है। उनमें से एक विद्या से वे ऐसे आवागमन
कर सकते है। )
हम सब वायुयान से चले। महात्माओके दर्शन वंदन किये।
वैराग्यमयी देशना सुनकर तृप्त हुए। अग्निशिख पितृव्य ने फिर उन महात्मा से हमारे
विषयक सवाल किए। है महात्मन ! इन दोनों कन्याओं का पति कौन होगा? उन महात्मा ने उपयोग लगाकर कहा : - जो वीर पुरुष इसके भाई
का वध करेगा वही इनका पति होगा।
महात्मन की बात सुनकर हमारे पिताश्री अत्यंत व्यथित हो गए।
हमें भी अत्यंत खेद हुआ। हमने पिताश्री को बहुत आश्वासन दिया और कहा कि हम अपने
भाईकी मृत्यु का कारण न बने इसका ख्याल रखेंगे। हमें ऐसे विषयसुख नही चाहिए। आप
खेद क्यों करते हो?
कुछ समय बाद हमारा भाई घूमने निकला हुआ था। तब उसने आपकी
वाग्दत्ता को देखा। उस पर मोहित होकर उसने पुष्पचुला का अपहरण कर लिया। यद्यपि पुष्पचुला
उसके अधिकार में ही थी पर वह उसका तेज सहन नही कर पाया। सामर्थ्य प्राप्त करने वह
साधना करने लगा। और अंतिम दिन आपके हाथों ही मारा गया।
हमे उस दिन गंभीर आघात लगा।
पर पुष्पचुला ने हमे समझाया। महात्मा की वाणी का हमे स्मरण
हुआ। आप ही हमारे स्वामी बनोगे यह याद आ गया। पुष्पवती ने उत्साह में आकर आपको
रक्त वस्त्र की जगह श्वेत ध्वजा भूल से दिखा दी। अर्थात जल्दी में आपको गलत संकेत
दे दिया और आप निकट आने की जगह दूर चले गए।
हमारे दुर्भाग्य को हम कोसने लगे। हमने आपकी बहुत तलाश की ।
बहुत क्षेत्रो में भटकते रही। और न मिलने पर यहां आकर आपकी राह देखते हुये दिन
बिताने लगे। आज सदभाग्य से आपका मिलन हो गया। अब हमारा पाणिग्रहण कर हमारा मनोरथ
पूर्ण कीजिये।
ब्रह्मदत्त ने उन दोनों के साथ गंधर्व विवाह किए। रात्री
सुखभोग में व्यतीत कर प्रातःकाल अपनी दोनो नवपरिणित पत्नियों से कहा : - अभी में
जा रहा हूं। जब तक मुझे राजयलाभः नही मिल जाता, तब तक आप दोनों पुष्पवती ( पुष्पचुला) के साथ रहना।
अब उसे रत्नवती की याद आई। उसका क्या हुआ?
कल का जवाब : - ग्राम नायक द्वारा वन में वरधनु की तलाश
करवाने पर उन्हें सिर्फ एक बाण मिला ।
आज का सवाल : - विद्याधर मनुष्यो के पास उत्कृष्ट कितनी
विद्याएं हो सकती है?
संदर्भ : - तीर्थंकर चरित्र
जिनवाणी विपरीत अंशमात्र लिखा हो तो मिच्छामि दुक्कडम।
पिक प्रतीकात्मक है।
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