Simandharswami Jinalay shankrpur khambhat Gujrat

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श्री सीमंधर स्वामी जिनालय
शकरपुर - खंभात - गुजरात 

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Simandharswami Jinalay shankrpur khambhat Gujrat 

                    श्री सीमंधर स्वामी के मुख्य प्रवेश द्धार के अलावा श्री चिंतामणि पार्श्वनाथना जिनालय के रंगमंडप में से भी इस जिनालय को देख सकते है ।

                        रंगमंडप सादगी भरा है और मध्यम कद का है । रंगमंडप की छत में पुतलियों पर रंग काम किया हुआ है । यहाँ पर लकड़े के खम्बों पर भी रंग किया हुआ है । 

                      गंभारे में मूळनायक श्री सीमंधर स्वामी की अष्ट प्रतिहार्य परिकर युक्त प्रतिमा बिराजमान है । इस जिनालय मे पाषाणनी कुल छ: प्रतिमाजी है जिसमे से गहरे कत्तीई रंग के आरस की दो प्रतिमाएँ उपर नीचे बिराजित है । यह कत्तीई रंग के आरस की उपर की प्रतिमा पर ' युगंधर स्वामी ' और नीचे की प्रतिमा पर  ' बहु स्वामी ' इस प्रकार का लेख है।यहाँ पर आरस के पगलियों की कुल नौ जोडी है जिसमे से एक छोटे पगले की जोड़ी  है । अन्य पादुकाओ पर नीचे प्रकार का लेख पढ सकते है । 

1. श्रीमान विक्रमार्क संवत 1919 ना वर्षे फागण मासे शुक्लपक्षे दसम भृगुवारे वीरविजयजी पादुका... सुत लक्ष्मीचंद ततसुत मोटाभाई करापितम् 

2. संवत 1795.... श्री सौभाग्यसूरि पादुका

3. संवत 1784 वर्षे मागसर सुदि 6 दिने बुधवासरे श्री स्तंभतिर्थ मंदिरे श्री तपागच्छे सुविहित भट्टारक श्री आनंद विमलसूरिश्वर.... विजयदानसूरि पट्ट भ. श्री हीरविजयसूरि... श्री विजयसेनसूरि. पट्टे भट्टारक श्री विजयदेवसूरि पट्टे प्रभावक सकल पुरंदर भट्टारक श्री विजयप्रभसूरि पट्टे सविज्ञपक्षे भट्टारक श्री ज्ञानविमलसूरि स्मर्णा पादुका: शुभम् भवतु:

4. संवत 1845... विजय सौभाग्यसूरि

5. गणधर श्री गौतम स्वामी की पादुका

6. संवत 1848.... महिमा विमलसूरि पादुका

7. संवत 1912.... विजयाणंदसूरि पादुका

मूळनायक श्री सीमंधर स्वामी की प्रतिमा पर नीचे प्रकार का लेख है - 

                   ' संवत ईलाही 48 संवत 1659 वर्षे वैशाख सुदि 13 बुधे उकेशवंशे वृद्ध शाखीय आतुरा गोत्रे स्तंभतीर्थ वास्तव्य सो. वछीआ  भार्या सुहामणि सुत सो. तेजपाल भार्या तेजल दे प्रमुख परिवारयुतेन स्वश्रेयसे... बिंब कारापितं तपागच्छे श्री हीरविजयसूरि तत्पतट्टे... भट्टारक श्री विजयसेनसूरिभि. ' 

                 मूळनायक श्री सीमंधर स्वामी के परिकर मे दोनो काउस्सग्ग मे रहे हुए परमात्मा के नीचे का लेख 

' संवत 1673... विजयसेनसूरि ' इस प्रकार का उल्लेख हुआ है । 

                   मूळनायक श्री सीमंधर स्वामी के बाएँ तथा दाएँ गर्भद्वार के सामने श्री नमिनाथ की प्रतिमाजी बिराजमान है और दोनो प्रतिमाओ पर संवत 1659 का मूर्तिलेख है , जे नीचे प्रकार से है । 

                      ' सं. ईलाही 48 संवत 1659 वर्षे वैशाख सुदि 13 बुधे उकेशवंशे वृद्ध शाखीय आतुरा गोत्रे स्तंभतीर्थ वास्तव्य सो. वाछीआ भार्या सुहामणि सुत सो. तेजपाल भार्या तेजल दे प्रमुख परिवारयुतेन स्वश्रेयसे श्री नमिनाथ बिंब कारापितम् प्रतिष्ठितं तपागच्छे श्री हीरविजयसूरि तत्पट्टे.... भट्टारक श्री विजयसेनसूरिभि: ' 

                  मूळनायक श्री सीमंधर स्वामी की बायीं ओर आयी हुयी श्री अजितनाथ की प्रतिमा पर ' ईलाही 46 सं. 1658 ' का मूर्ति लेख है तथा दायीं ओर बिराजित प्रतिमा पर सं. 1659 का लेख है । 

पता 

श्री सिमंधर स्वामी जिनालय 
शकरपुर, खंभात 
ज़िला आंनद 
गुजरात 
पीन कोड - 388620

सकंलन - देवलोक जिनालय पालीताणा 

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