श्री सीमंधर जिन थोय
महाविदेह क्षेत्रमां सीमंधर स्वामी,
सोनानुं सिंहासनजी,
रूपनां त्यां छत्र बिराजे,
रत्नमणिना दीवा दीपेजी;
कुंकुमवर्णी त्यां गहुंली बिराजे,
मोतीना अक्षत सारजी,
त्यां बेठा सीमंधर स्वामी,
बोले मधुरी वाणीजी;
केसर चंदन भर्यां कचोळा,
कस्तुरी बरासजी,
पहेली रे पूजा अमारी होजो,
उगमते प्रभातेजी.
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें