CHATURMAS BIDAI GEET

सबके नैनों में फिर से नमी छा गयी ...2

फिर बिछडने की निष्ठुर घडी आ गयी ...2 

देख गुरू शिष्य के इस वियोग के क्षण

भक्त मन की कली आज मुरझा गयी 

फिर बिछडने की निष्ठुर घडी आ गयी ...2 

 

 

गुरू से मिलन की ना जाने कबसे आस थी 

चरण शरण में कबसे रहने की प्यास थी ...2 

आखियों में गुरू की छवी समा गयी ...2 

फिर बिछडने की..2 निष्ठुर घडी आ गयी ...2 

 

 

गुरू के शरण में बिताये पल खास हैं 

शुद्धियों की निधिया ही अब रही पास हैं ...2

देशना गुरू की मन को जगा गयी ...2

फिर बिछडने की..2 निष्ठुर घडी आ गयी ...2

 

 

काश ये समय थोडी देर तो ठहरता 

शीघ्रता से जाके यैसे छल नही करता ...2 

रीत ये विहार की गजब ढा गयी ...2 

फिर बिछडने की..2 निष्ठुर घडी आ गयी...6

 

टिप्पणियाँ