के मारा मनमां, तारा विना नहीं कोई रे
मारा दिलमां, तारा विना नहीं कोई रे…
मीठो साद दईने ते तो मारा उघाड्यां नयन,
साचो पंथडो बताड्यो ने त्यां वहाव्यां किरण...(२)
तुज स्नेहनी आ रिमझिम धारे,
भींजाई वारे वारे, हैयुं करे छे टहुकारो...
तुं एक ज छे मारो...(३) सथवारो,
तुं एक ज छे मारो, प्रभु! एक ज तुं मारो,
तुं एक ज छे मारो सथवारो…
मुज तन-मन खीले, भावोमां झीले,
तुं छवाय ज्यारे थईने वादळी,
मुज हैयुं नाचे, तुज शरणुं याचे,
वागे ज्यारे तुज वाणीनी वांसळी,
हैयुं विमल अने शीतल अंतर कोमल बने,
तारा संगे मारूं मनडुं स्वामी! वत्सल बने,
तुज स्नेहनी…
वैराग्य ने समता, अंतरमा रमता,
तुं वस्यो जिनेश्वर! हैये ज्यारथी,
संसार किनारे, झट जावू मारे,
संयम विना मन क्यांये रमतुं नथी,
तुं जे जीव्यो एवं जीवन मारे जीववु हवे,
मारी झंखनामां शमणामां एक तुं हवे,
तुज स्नेहनी...
Lyrics : Param Pujya Aacharya Dev Shri Mokshratisurishwarji Maharaja
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