साथ गिरनारनो हाथ नेमनाथनो,
होय जो मस्तके तो शो तोटो,
अन्य स्थाने रही ध्यावे रैवतगिरी,
चोथे भवे पामतो मोक्ष मोटो
साथ गिरनारनो…
मात तात घातकी पातकी अति घणो,
राय भीमसेन गिरनार आवे,
मुनि बनी मौन धरी अष्टदिन तप तपी,
उज्ज्यंत गिरीए मुगति पावे
साथ गिरनारनो…
वस्तुपाल तेजपाल मंत्री साजनने,
धार पेथड श्रावक भीमो,
तीर्थभक्ति करी तन-मन-धन थकी,
मनुज अवतार तस सफल कीनो
साथ गिरनारनो…
छाया पण पक्षीनी आवी पडे गिरीवरे,
भ्रमण दुर्गति तणा नाश थावे,
जल थल खेचरा इण गिरी पर रही,
त्रीजे भवे मोक्ष मोझार जावे
साथ गिरनारनो…
व्यक्त चेतन रहित पृथ्वी अप तेजसा,
वायु पादप गिरनार पामी,
तीर्थ महिमा थकी कर्म हळवा करी,
सवि थया तेहथी मुगति गामी..
साथ गिरनारनो…
रत्न, प्रमोद, प्रशांत, पद्मगिरी,
सिद्धशेखर, भवि पाप जावे,
चन्द्र-सूरजगिरी, इन्द्रपर्वतगिरी,
आत्मानंद, गिरीवर कहावे
साथ गिरनारनो…
कथीर कांचन हूवे पारसना योगथी,
“ह्रेम” परे शुद्ध निजगुण पावे,
तिम रैवतगिरी योगथी आत्मा,
पदवी “वल्लभ “ लही मोक्ष जावे
साथ गिरनारनो…
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