Mera Nemi Hain Girnari | मेरा नेमि है गिरनारी

(रचयिता: मुनि श्रेयांशप्रभ सागरजी महाराज साहेब)


(राग/तर्ज: मेरा भोला है भंडारी)


नेमि नेमि नेम… नेमि नेमि नेम…

जय गिरनारी… जय गिरनारी…

नेमि नेमि नेम… नेमि नेमि नेम…

नेम नेम नेम नेम नेम… हो नेम… हो नेम…

गिरनारी… नेमि नेमि नेम…

ॐ नेमिनाथ नमः ॐ नेमिनाथ…


हो… यदुकूल का तूं चंदा नेमि,

बड़ा ही दयालाजी..

जगमें शीतलता देता चढ़े डूंगरी,

हो… जंगल में फूलों जैसा प्रेम रस वाला तूं..

राजुल रस आई पीने बने भवरी,

गिरनारी… गिरनारी…

तेरी प्रतिमा सबके मन को लुभावे रे हो…

ॐ नेमिनाथ नमः ॐ नेमिनाथ…

धरती का वह तिलक समाना,

पाता है जग में बहुमाना,

पावन है गिरनारा… रा… रा…

गिरनारी… ॐ नेमिनाथ नमः

ॐ नेमिनाथ… जय नेमिनाथ…


हो… न्हवणा मैं देखूँ तेरा मन को लुभावाजी..

काले काले मुखड़े पे प्यारा वो जी,

काले बादल में चंदा मामा ज्यो प्यारा..

न्हवणा प्यारा वो लागे भक्तों को जी,

नेम नेम नेम नेम नेम… हो नेम… हो नेम…

हो… सोने का मुकुटा नेमि लागे सुहाना,

टीका हीरो का मन भावन जी,

सेवा मैं चाहूँ तेरी अवसर हूँ मांगता,

आशा वो पूरी होगी अंतर की जी,

कान्ति-मणि विनति करता नेमि तेरे चरणे,

साथ मेरे रहना मेरी छाँवसा हो जी…


मेरा नेमि है गिरनारी,

करता भक्तों की रखवारी,

नेमिनाथ रे, हो5 राजुल नाथ रे…

तेरी महिमा है अतिभारी,

गाती है दुनिया ये सारी,

राजुल नाथ रे, हो& नेमिनाथ रे…नेमिनाथ जी,

भक्त तेरा यह गाताजी, शरणे तेरे आताजी,

पाता हरपल शाताजी,

ॐ नेमिनाथ नमः ॐ नेमिनाथ…

कालेया शिखरों वाला, मेरा नेमि बाबा,

चढ़के गिरनार बैठा नेमिनाथजी…

नेम नेम नेम नेम नेम…हो नेम..हो नेम…

ॐ नेमिनाथ नमः ॐ नेमिनाथ…

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