प्रभु तू तो मारो छे जीवन आधार(2),
नथी कोई तारा विना(2)
प्रभु तुजने पामी थयो हुं सनाथ(2) ,
नथी कोई तारा विना(2)
निगोदे ने नरके रह्या एक साथे,
ने भीषण आ भव मा भम्या एक साथे
गया केम मुक्ते छोड़ी मुज़ने नाथ(2) ,
नथी कोई तारा विना(2)
तारी वातो भूल्यो ,ना पापोथी अटक्यो
विरह तारो मुज़ने ना दिलमाहीं खटक्यो,
भावो भव हु भटक्यो बनीने अनाथ(2)
नथी कोई तारा विना(2)
तारी आण ने मैं ना दिलमाहीं धारी
विषय सुख माटे बन्यो हु भिकारी
दुखों पाम्यो भारी ते बदले हु नाथ(2)
नथी कोई तारा विना(2)
धर्मनु फळ मांगु, धर्म थी हु भागु
ने पाप प्रसंगे हु निशदिन जागु
करुण छे कहानी आ मारी ओ नाथ(2)
नथी कोई तारा विना(2)
प्रभु मारी सुणजे ,तू अंतर आवाज़
करू हु विनंती ,तारी पासे आज
भवोभव मुज़ने मळे तारो साथ(2)
नथी कोई तारा विना(2)
तारी वात समजु , समझ एवी देजे
तने ओळखु , एवी शक्ति तू देजे
आतम गुण रश्मिमां ,हीर हे नाथ(2)
नथी कोई तारा विना(2)
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