Nishkami Gunray Sugyani Jain Stavan Hindi Lyrics

Nishkami Gunray Sugyani (Hindi Lyrics) Jain Stavan

ध्रुवपद रामि हो स्वामी माहरा

निष्कामी गुणराय सुज्ञानी निष्कामी गुणराय 

निज गुण कामी हो पामी तुं धणी-2

ध्रुव आरामी हो थाय , सुज्ञानी

निष्कामी गुणराय सुज्ञानी निष्कामी गुणराय 


सर्व व्यापी कहे सर्व जाणगपणे, पर परिणमन स्वरूप ,-2सुज्ञानी

 पररूपे करी तत्त्वपणू नहीं', स्वसत्ता चिदरूप ,-2 सुज्ञानी


धेय अनेके हो ज्ञान अनेकता, जळ भाजन रवि जेम , सुज्ञानी

द्रव्य एकत्वपणे गुण एकता, निज पद्ध रमता हो खेम , सुज्ञानी


परक्षेत्रे गत नेय ने जाणवी , परक्षेत्रे थयूं ज्ञान , सुज्ञानी

अस्तिपणो निज क्षेत्रे तुमेकजु ,निर्मलता गुण मान , सुज्ञानी


धेयविनाशे हो ज्ञान विनश्वरू, काळ प्रमाणे रे थाय , सुज्ञानी

स्वकाळे करी स्वसत्ता सदा, ते पर रीते न जाय , सुज्ञानी

 

परभावे करी परता पामतां, स्वसत्ता थिर टाण , सुज्ञानी

 आत्मचतुष्ट मई परमां नहीं', तो किम सहुना रे जाण , सुज्ञानी


अगुरुलघु निज गुणने देखतां, द्रव्य सकल देखंत , सुज्ञानी

साधारिण गुणनी साधर्मता, दर्पण जलने दृष्टांत , सुज्ञानी


श्री पारस जिन पारसरस समो पण इहा पारस* नांहि , सुज्ञानी

पूरण रसीओ हो निज गुण परसनो, आनंदघन मुज मांहि , सुज्ञानी

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