Shidho ke 15 Bhed

सिद्धों के पन्द्रह भेद-

09-12-2020
1. तीर्थ सिद्ध- तीर्थ (जिनवचन, चतुर्विध संघ और प्रथम गणधर) की स्थापना होने के
बाद जो सिद्ध होते हैं, वे तीर्थ सिद्ध कहलाते हैं, जैसे- अर्जुन माली,

2. अतीर्थ सिद्ध- तीर्थ की स्थापना होने से पहले अथवा तीर्थ का विच्छेद होने पर जो
सिद्ध होते हैं, वे अतीर्थ सिद्ध कहलाते हैं, जैसे- मरूदेवी माता आदि।

3. तीर्थकर सिद्ध- तीर्थकर पद को प्राप्त कर जो मोक्ष में जाते हैं, वे तीर्थकर सिद्ध
कहलाते हैं जैसे- अजितनाथजी।

4. अतीर्थकर सिद्ध- सामान्य केवली होकर मोक्ष में जाने वाले अतीर्थकर सिद्ध कहलाते हैं,
जैसे- धन्नाजी।

5. स्वयं बुद्ध सिद्ध- जो दूसरों के उपदेश बिना स्वयमेव बोध प्राप्त कर मोक्ष में जाते हैं,
वे स्वयं बुद्ध-सिद्ध कहलाते हैं, जैसे- तीर्थंकर आदि।

6. प्रत्येक बुद्ध सिद्ध- जो किसी के उपदेश बिना ही पदार्थ विशेष को देखकर वैराग्य प्राप्त
करते हैं और दीक्षा धारण कर मोक्ष में जाते हैं, वे प्रत्येक बुद्ध सिद्ध हैं, जैसे- नमिराज, करकंडू
मुनि आदि।

7. बुद्धबोधित सिद्ध- गुरु के उपदेश से बोध प्राप्त कर, दीक्षित होकर जो मोक्ष में जाते
हैं, इन्हें बुद्ध बोधित सिद्ध कहते हैं, जैसे- जम्बू स्वामी।

৪. स्त्रीलिंग सिद्ध- जो स्त्री पर्याय में रहते हुए मोक्ष जाते हैं, उन्हें स्त्रीलिंग सिद्ध कहते हैं,
जैसे- चन्दनबाला जी।

9. पुरुषलिंग सिद्ध- जो पुरुष पर्याय में रहते हुए मोक्ष में जाते हैं, उन्हें पुरुषलिंग सिद्ध
कहते हैं, जैसे- गौतम स्वामी।

10. नपुंसक लिंग सिद्ध- नपुंसक पर्याय में रहते हुए मोक्ष जाने वाले नपुंसक लिंग सिद्ध
कहलाते हैं, जैसे- गांगेय अणगार।

11. स्वलिंग सिद्ध- जैन साधु के वेष में रहते हुए मोक्ष जाने वाले स्वलिंग सिद्ध कहलाते हैं,
जैसे- सुधर्मा स्वामी।

12. अन्यलिंग सिद्ध- अन्य मत के साधुओं के वेष में रहकर जो मोक्ष में जाते हैं, उन्हें
अन्यलिंग सिद्ध कहते हैं, जैसे- वल्कल चीरी।

13. गृहस्थ लिंग सिद्ध- गृहस्थ के वेष में मोक्ष जाने वाले गृहस्थ लिंग सिद्ध कहलाते हैं,
जैसे- मरुदेवी माता।

14. एक सिद्ध- एक समय में अकेला ही मोक्ष जाने वाला जीव एक सिद्ध कहलाता है,
जैसे- महावीर स्वामी।

15. अनेक सिद्ध- एक समय में एक से अधिक यानी दो से लेकर एक सौ आठ तक
मोक्ष में जाने वाले जीव अनेक सिद्ध कहलाते हैं, जैसे - भगवान ऋषभ देव।

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