Padmaprabhu Muj Bhaaya Re Chittma Lyrics jain Stavan

Padmaprabhu Muj Bhaaya Re Chittma Lyrics jain Stavan


पद्मप्रभु मुझ भाया रे चित्तमां, पद्मप्रभु मुझ भाया
मोह महाबल रिपुने जीती, आज शरणमां आया हो
चित्तमां, पद्मप्रभु मुझ भाया… (१)

महा भयंकर भव जंगलमां, दुःख अनन्ता पायो
मिथ्या भावनी कुंज गलिनमां, मूरख हुं भटकायो रे
चित्तमां, पद्मप्रभु मुझ भाया… (२)

समकित शुद्धिकारक जगमां, तुम आलम्बन प्यारा
भावना शुद्धि माटे प्रभुजी, एज सदा सुखकारा रे
चित्तमां, पद्मप्रभु मुझ भाया… (३)

जगमां मारुं कोई नहीं प्रभु, हुं नहीं जगनो स्वामी
दर्शन दायक लायक छो तुम, मारा अंतरजामी रे
चित्तमां, पद्मप्रभु मुझ भाया… (४)

अन्तरायना कारणे युग तक, दर्शन हुं नही पायो
भण्डारी सागर संयोगे, आस्रव मेल धुलायो रे
चित्तमां, पद्मप्रभु मुझ भाया… (प)

शान्त सलूणी मुद्रा प्यारी, शोभित पूनम चन्दा!
भव्य चकोरने शान्ति प्रदायक, जगत जीव अमन्दा रे
चित्तमां, पद्मप्रभु मुझ भाया… (६)

बे हजार त्रेवीसमां दर्शन, बारस चैत्र वदि नामी
छरीपालक संघ सहित सौ, आव्या निज सुखकामी
चित्तमां, पद्मप्रभु मुझ भाया… (७)

लक्ष्मणी तीरथ नायक छो तुम, “सूरी राजेन्द्रजी" स्वामी
“सूरि यतीन्द्र” चरणमां वन्दे, “जयन्त” नित सिर नामी रे
चित्तमां, पद्मप्रभु मुझ भाया… (८)

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