Din dukhiya no tu chhe

Din Dukhiya No Tu Chhe

दीन दुःखियानो तुं छे बेली,
तु छे तारणहार
तारा महिमानो नहीं पार (२ वार)
राजपाटने वैभव छोडी,
छोडी दीधो संसार
तारा महिमानो नहीं पार (२ वार)
दीन दुःखियानो…

चंडकोशीयो डसियो ज्यारे,
दुधनी धारा पगथी नीकळे;
विषने बदले दूध जोईने,
चंडकोशीयो, आव्यो शरणे,
चंडकोशीयाने ते तारी,
कीधो घणो उपकार
तारा महिमानो नहीं पार (२ वार)
दीन दुःखियानो…

कानमां खीला ठोक्यां ज्यारे,
थई वेदना प्रभुने भारे
तोये प्रभुजी, शांति विचारे,
गोवाळनो नहि वांक लगारे,
क्षमा आपीने, ते जीवोने,
तारी दीधो संसार
तारा महिमानो नहीं पार (२ वार)
दीन दुःखियानो…

महावीर महावीर गौतम पुकारे,
आंखोथी आंसुनी धार वहावे;
क्यां गया एकला छोडी मुजने,
हवे नथी कोई जगमां मारे,
पश्चात्ताप करता करता ,
उपन्युं केवळज्ञान
तारा महिमानो नहीं पार (२ वार)
दीन दुःखियानो…

‘ज्ञान विमल’ गुरु वयणे आजे,
गुण तमारा गावे हरखे;
थई सुकानी तुं प्रभु आवे,
भवजल नैया पार उतारे,
अरज अमारी दिलमां धारी
वंदन वार हजार
तारा महिमानो नहीं पार (२ वार)
दीन दुःखियानो…

रचना: पूज्य आचार्यदेव श्री ज्ञानविमल सूरि महाराज

टिप्पणियाँ