Chandraprabhu ni Chakri Nitya Kariye

Chandraprabhu ni Chakri Nitya Kariye

चंद्रप्रभु नी चाकरी नित्य करीए रे,

नित्य करीए रे, नित्य करीए,

करीए तो भवजल तरीए ,

हां रे चडते परिणाम (२ वार)


लक्ष्मणा माता जनमीया जिनराय,

जिन ऊडुपति लंछन पाय,

ए तो चंद्रपुरी नो राय,

हां रे नित्य लीजे नाम (२ वार)

चंद्रप्रभु नी चाकरी…


महसेन पिता जेहना प्रभु बलिया,

मुने जिनजी एकांते मलिया,

मारा मनना मनोरथ फलिया,

हां रे दीठे दु:ख जाय (२ वार)

चंद्रप्रभु नी चाकरी…


दोढसो धनुष्य नी देहडी जिन दीपे,

तेजे करी दिनकर झीपे,

सुर कोडी उभा समीपे,

हां रे नित्य करतां सेव (२ वार)

चंद्रप्रभु नी चाकरी…


दश लाख पूर्वनुं आउखुं जिन पाळी,

निज आतम ने अजवाळी,

दुष्ट कर्मना मर्मने टाळी ,

हां रे लह्युं केवलज्ञान (२ वार)

चंद्रप्रभु नी चाकरी…


समेतशिखर गिरि आविया प्रभु रंगे,

मुनि कोडी सहस प्रसंगे,

पाली अणसण उलट अंगे,

हां रे पाम्या परमानंद (२ वार)

चंद्रप्रभु नी चाकरी…


श्री जिन उतम रुपने जे ध्यावे,

ते कीर्ति कमला पावे,

मोहनविजय गुण गावे,

हां रे आपो अविचलराज (२ वार)

चंद्रप्रभु नी चाकरी…


 रचयिता: पूज्य मुनिराज श्री मोहनवीजयजी महाराज साहेब

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