vighnaHara Parshwanath Surat

Vighan Hara Paswnath Surat श्री विघ्नहरा पार्श्वनाथ,मु.रांदेर, सुरत

Vighan Hara Paswnath Surat


            सहस्त्रफणा से युक्त और पद्मासने बिराजेल ४१ ईंच बड़े और २९ ईंच चौड़े श्यामवर्ण के श्री विघ्नहरा पार्श्वनाथजी रांदेर के एक धाबाबंध जिनालय में मूळनायक श्री आदिनाथ भगवान की दाई ओर बिराजमान है। सुरत के पास में आयेल रांदेर प्राचीन है। पांच मनोहर जिनालयो यह गांव के जैन की धर्मप्रियता के साक्षी है। और प्राचीन तीर्थमाळा स्तवनो में रांदेर का उल्लेख नोंधपात्र है। 

         श्री विघ्नहरा पार्श्वनाथजी ३०० वर्ष जितने प्राचीन है। विघ्न के वंटोळ का विसर्जन करके भक्त को भयरहित बनाते यह प्रभुजी का ‘विघ्नहरा’ नाम यथार्थ है। 

                   आदेश्वर भगवान के उपर १६८३ का लेख है। श्रीसंघे यह जिनालय संवत १८०० आसपास में बंधायेल है। सं.१६३८ में रांदेर चातुर्मास रहकर श्री श्रीपाळ महाराजा के रास की रचना करते पू. महोपाध्याय श्री विनय विजयजी महाराज साहेब का कालधर्म यहाँ हुआ था। उनके संकेत अनुसार पू. महोपाध्याय श्री यशोविजयजी महाराजे बाकी रास यहाँ ही पूर्ण किया था। सं.१६८९ में महोपाघ्याय श्री विनय विजयजी गणीवरे रचेल श्री सूर्यपुर चैत्यपरिपाटी में उन्होंने रांदेर के जिनालयो को पूर्ण जुहारे थे। 

       रांदेर सुरत के पास नदी किनारे आया प्राचीन तीर्थ है। गांव में पांच मनोहर जिनालयो आये है। सवंत १७९३ में रांदेर में १४ देरासर और १४३ जिनप्रतिमा होने की नोंध है। जैनो के १५० घर है। रांदेर में श्री श्रीपाळ मयणा सुंदरी के रास के रचयिता महोपाध्याय श्री विनयविजय महाराज साहेब का गुरु मंदिर भी है। मुंबई से 296 किमी और नवसारी 47 किमी है। ❤💛💚💜❤💛💚💜

                    स्तुति
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जे प्रभुना दर्शथी सहु आपदा दूरे थती,
ने जे प्रभुना स्पर्शथी सहु संपदाओ मळी जती, 
विघ्नो हरी शिवमार्गना,
जे मुक्ति सुखने आपता,
विघ्नहरा प्रभु पार्श्वने भावे करु हुं वंदना. 

                 जाप मंत्र
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 ॐ ह्रीं अर्हं,श्री विघ्नहरा पार्श्वनाथाय नमः

💜पता ❤
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श्री विघ्नहरा पार्श्वनाथ जैन श्वतांबर देरासर, 
डो.उत्तमराम स्ट्रीट निशाळ फळिया, मु.रांदेर, सुरत.३९५००५
फोन नंबर - ९९२५१९८११८
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