Tirthankar Visheshta


तीर्थंकर भगवान की कौन-कौन सी विशेषताएँ होती हैं? 
तीर्थंकरों की प्रमुख विशेषताएँ निम्न हैं:-
1. तीर्थंकर के दाढ़ी-मूँछ नहीं होती है। 
2. तीर्थंकर बालक माता का दूध नहीं पीते किन्तु सौधर्म इन्द्र जन्माभिषेक के बाद उनके दाहिने हाथ के
आँगूठे में अमृत भर देता है जिसे चूसकर बड़े होते हैं। 
3. जीवन भर (दीक्षा के पूर्व) देवों के द्वारा दिया गया ही भोजन एवं वस्त्राभूषण ग्रहण करते हैं।
4. तीर्थंकर स्वयं दीक्षा लेते हैं।
5. तीर्थंकर को बालक अवस्था में, गृहस्थ अवस्था में एवं मुनि अवस्था में भी मन्दिर जाना आवश्यक नहीं होता। उनका अन्य मुनि से, गृहस्थ अवस्था में साक्षात्कार भी नहीं होता।
6. तीर्थंकरों के कल्याणकों के समय पर नारकी जीवों को भी कुछ क्षण के लिए आनन्दकी अनुभूति होती है।
7. तीर्थंकर मात्र सिद्ध परमेष्ठी को नमस्कार करते हैं। अतः नमःसिद्धेभ्यः बोलते हैं।
8. तीर्थंकरों के 46 मूलगुण होते हैं।
9. तीर्थंकर सर्वाङ्ग सुन्दर होते है।
10. तीर्थंकर के चिह्न कौन रखता है?
जब सौधर्म इन्द्र तीर्थंकर बालक का पाण्डुकशिला पर जन्माभिषेक करता है। उस समय तीर्थंकर के दाहिने पैर के अँगूठे पर जो चिह्न दिखता है, वह इन्द्र उन्हीं तीर्थंकर का वह चिह्न निश्चित कर देता है।

 

11. कौन से क्षेत्र के तीर्थंकर का कौन-सी शिला पर जन्माभिषेक होता है?
भरत क्षेत्र के तीर्थंकरों का पाण्डुकशिला पर, पश्चिम विदेह के तीर्थंकरों का पाण्डु कम्बला शिला पर, ऐरावत क्षेत्र के तीर्थंकरों का रक्त शिला एवं पूर्व विदेह के तीर्थंकरों का रक्त कम्बला शिला पर जन्माभिषेक होता है।

 

12. कौन से तीर्थंकरों के शरीर का वर्ण कौन-सा था ?
कृत्रिम-अकृत्रिम-जिनचैत्य की पूजा के अध्र्य में तीर्थंकरों के शरीर का वर्ण इस प्रकार कहा है

द्वी कुन्देन्दु—तुषार—हार–धवलौ, द्वाविन्द्रनील-प्रभौ, 
द्वौ बन्धूक-सम-प्रभौ जिनवृषौ, द्वौ च प्रियङ्गुप्रभौ ।
शेषाः षोडश जन्म-मृत्यु-रहिताः संतप्त-हेम-प्रभासम् । 
ते संज्ञान-दिवाकराः सुर-नुताः सिद्धिं प्रयच्छन्तु नः ।

किसी कवि ने तीर्थंकरों के वर्ण के विषय निम्न प्रकार कहा है

दो गोरे दो सांवरे, दो हरियल दो लाल। 
सोलह कंचन वरण हैं, तिन्हें नवाऊँ भाल।

अर्थ – चन्द्रप्रभ एवं पुष्पदन्त सफेद वर्ण

        मुनिसुव्रतनाथ एवं नेमिनाथ शष्याम वर्ण / नील वर्ण

        पद्मप्रभ एवं वासुपूज्य लाल वर्ण

        सुपार्श्वनाथ एवं पार्श्वनाथ हरित वर्ण

        शेष सोलह तीर्थंकरों का पीत वर्ण 

विशेष - मुनिसुव्रतनाथ एवं नेमिनाथ का श्याम वर्ण है।

 

13. कौन से तीर्थंकर कहाँ से मोक्ष पधारे?
ऋषभदेव कैलाश पर्वत से, वासुपूज्य चम्पापुर से, नेमिनाथ गिरनार से, महावीर स्वामी पावापुर से एवं शेष तीर्थंकर तीर्थराज सम्मेदशिखर जी से मोक्ष पधारे।
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