जैन ध्वज में 5 रंग क्यों होते हैं ?
जैन ध्वज पंच परमेष्ठी का सूचक है । नवकार में पांच पदों के वर्ण ( रंग ) कहे जाते हैं -
1. अरिहंत परमात्मा का वर्ण सफ़ेद ( श्वेत ) है । सफ़ेद रंग अपार करुणा , परम शांतिमय शुक्लध्यान और आत्मा की पवित्रता होने का प्रतीक है।
2. सिद्ध परमात्मा का वर्ण लाल है । रक्त ( लाल ) वर्ण आत्मीय ऊर्जा , पूर्णता और करुणा का सूचक है ।
3. आचार्य भगवन्तो का वर्ण पीला है । यह जिनशासन के पीत मुकुटबद्ध राजा के समान पीला है एवं सूर्य जैसी तेजस्विता और अनुशासन का प्रतीक है ।
4. उपाध्याय भगवंत का वर्ण हरा है । पाठक / अध्यापक होने के हरा रंग उनके ज्ञान को , उनके दायित्व के संतुलन की प्राकृतिक ऊर्जा को प्रकट करता है।
5. साधु भगवन्तो का वर्ण काला है । प्रायः उनके शारीरिक , मानसिक मेहनत के कारण गहरे रंग की चमड़ी के कारण और राग द्वेष आदि भावुकता से दूर होने के कारण उनके पद का वर्ण काला है ।
जैन धर्म के झंडे में , कई रक्षा पोटली में , महापुजनों में पांच परमेष्ठियों के ये 5 वर्ण ही होते हैं जो जिनशासन के आधार पांच परमेष्ठी पदों को सूचित करते हैं ।
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