दयालशाह किल्ला तीर्थ श्री आदिनाथ भगवान
करीब साढे चार सौ वर्ष पूर्वे महाराणा राजसिंह के महामंत्री दयाल शाहजी के हाथों में मेवाड की बागदौड थी। उन दिनों मेवाड में अकाल था , लोग अन्न के दाने - दाने के लिये तरस रहे थे। गरीब मजदूरों को काम मिले और जनता को आराधना स्थल , इस उद्देश्य से उन्होंने महाराणा के समक्ष मंदिर निर्माण करने की भावना रखी। महाराणा ने कांकरोली के पास पहाड़ी पर सुंदर जगह प्रदान की।
महामंत्री ने आदिनाथ भगवान का चौमुखा नौ मंजिला भव्य जिन मंदिर बनवाया। जिसकी प्रतिष्ठा विक्रम संवत १७३२ वैशाख सुद 7 के दिन उपाध्याय विनयसागरजी द्वारा हुई। मंदिर के शिखर से अजमेर तक ज्योत दिखाई देती थी। वही से औरंगजेब ने तोप से हमला किया। आक्रमणों के बावजूद भी आज दो मंजिला मंदिर मौजूद है। जिनालय में १५० से.मी. की श्री आदिनाथ भगवान की श्वेतवर्ण की प्रतिमा है। इस तीर्थ की पहाड़ी के पीछे राणा राजसिंह द्वारा १ करोड की लागत से तालाब व पार बंधवाई गई।
करीब ४५ - ४६ वर्ष पूर्वे मेवाड देशोद्धारल पूज्य आचार्य श्री जितेन्द्रसूरिश्वरजी म.सा. के शिष्य पूज्य मुनिराज श्री गुणवर्धनविजयजी म.सा. यहाँ पधारे। स्वप्न में मिले संकेत से तीर्थ के जीणोद्धार का बीड़ा उठाया। इस मंदिर की प्राचीनता वहाँ की प्रतिमाओ में प्रतिबिम्बित होती है। आप भी इस एतिहासिक तीर्थ की यात्रा करके अपना जन्म सफल बनाए। यह तीर्थ कांकरोली रेल्वे स्टेशन से ५ कि. मी. दूर है। उदयपुर से ६० कि. मी. दूर है।
पता
श्री जैन श्वेतांम्बर मूर्तिपूजक श्री आदिनाथ भगवान तीर्थ
दयाल शाह किल्ला
कांकरोली
राजस्थान
फोन नंबर ०८२०९८५८१४४

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