हे नेमिनाथ... साद तारो सांभली आजे जीवी उठ्यो छुं, संवेदना जो सलवली तो ध्रवी उठ्यो छुं, पथ्थरथी पण कठोर आ ह्यदय हतुं मारुं, स्पर्श थयो नेमिनाथ तारोने पीगली उठ्यो छुं......✍🏻
गिरनार की महिमा
१. गत चौबीशी में हुए तीर्थकर
१ श्री नमीश्वर भगवान,
२ श्री अनिल भगवान,
३ श्री यशोधर भगवान,
४ श्री कृतार्थ भगवान,
५ श्री जिनेश्वर भगवान,
६ श्री शुद्धमति भगवान,
७ श्री शिवंकर भगवान,
८ श्री स्पंदन भगवान नामक आठ तीर्थकर भगंवतों के दीक्षा, केवलज्ञान और मोक्ष कल्याणक और अन्य दो तीर्थ कर भगंवतों का मात्र मोक्ष कल्याणक गिरनार गिरिवर पर हुए थे ।
२. वर्तमान चौबीशी के बाइसवें तीर्थकर श्री नेमिनाथ भगवान के दीक्षा, केवलज्ञान और मोक्ष कल्याणक गिरनार पर हुए है । उसमें उनकी दीक्षा और केवलज्ञान सहसावन में तथा मोक्ष कल्याणक गिरनार की पाँचवी टूंक पर हुआ है ।
३. आगामी चौबीशी में होनेवाले तीर्थकर
१ श्री पद्मनाभ भगवान,
२ श्री सुरदेव भगवान,
३ श्री सुपार्श्व भगवान,
४ श्री स्वयंप्रभु भगवान,
५ श्री सर्वानुभूति भगवान,
६ श्री देवश्रुत भगवान,
७ श्री उदय भगवान,
८ श्री पेढाल भगवान,
९ श्री पोटील भगवान,
१० श्री सत्कीर्ति भगवान,
११ श्री सुव्रत भगवान,
१२ श्री अमम भगवान,
१३ श्री निष्कषाय भगवान,
१४ श्री निष्कुलाक भगवान,
१५ श्री निर्मम भगवान,
१६ श्री चित्रगुप्त भगवान,
१७ श्री समाधि भगवान,
१८ श्री संवर भगवान,
१९ श्री यशोधर भगवान,
२० श्री विजय भगवान,
२१ श्री मल्लिजिन भगवान,
२२ श्री देव भगवान इन बाईस तीर्थकर परमात्मा का मात्र मोक्ष कल्याणक और
२३ श्री अनंतवीर्य भगवान,
२४ श्री भद्रकृत भगवान इस दोनों तीर्थकर भगवानों का दीक्षा, केवलज्ञान और मोक्ष कल्याणक भविष्य में इस महान गिरनार गिरिराज पर्वत पर होगा ।
४. गिरनार महातीर्थ में विश्व की सब से प्राचीन मूलनायक रुप में विराजमान श्री नेमिनाथ भगवान की मूर्ति लगभग १,६५,७३५ वर्ष न्यून (कम) ऎसे २० कोडाकॊडी सागरोपम वर्ष प्राचीन है । जो गत चौबीशी के तीसरे तीर्थकर श्री सागर भगवान के काल में ब्रह्मेन्द्र द्वारा बनाई गई थी । इस प्रतिमाजी को प्रतिष्ठित किये लगभग ८४,७८५ वर्ष हुए है । मूर्ति इसी स्थान पर आगे लगभग १८,४३५ वर्ष तक पूजी जायेगी । उसके बाद शासन अधिष्ठायिका देवी द्वारा इस प्रतिमाजी को पाताललोक में ले जाकर पूजी जायेगी ।
५. सहसावन में करोडों देवताओं ने श्री नेमिनाथ भगवान के प्रथम और अंतिम समवसरण की रचना की थी । प्रभुजी ने यहाँ प्रथम और अंतिम देशना (प्रवचन) दी थी ।
६. सहसावन की एक गुफा में भूत, भविष्य और वर्तमान ऎसे तीन चौबीसी के बहत्तर तीर्थकरों की प्रतिमाजी विराजमान है ।
७. सहसावन में साध्वी राजीमतीजी तथा श्री रहनेमि ने मोक्ष पद प्राप्त किया था
गिरनार की महिमा
![]() |
| neminath bhagavan |
१. गत चौबीशी में हुए तीर्थकर
१ श्री नमीश्वर भगवान,
२ श्री अनिल भगवान,
३ श्री यशोधर भगवान,
४ श्री कृतार्थ भगवान,
५ श्री जिनेश्वर भगवान,
६ श्री शुद्धमति भगवान,
७ श्री शिवंकर भगवान,
८ श्री स्पंदन भगवान नामक आठ तीर्थकर भगंवतों के दीक्षा, केवलज्ञान और मोक्ष कल्याणक और अन्य दो तीर्थ कर भगंवतों का मात्र मोक्ष कल्याणक गिरनार गिरिवर पर हुए थे ।
२. वर्तमान चौबीशी के बाइसवें तीर्थकर श्री नेमिनाथ भगवान के दीक्षा, केवलज्ञान और मोक्ष कल्याणक गिरनार पर हुए है । उसमें उनकी दीक्षा और केवलज्ञान सहसावन में तथा मोक्ष कल्याणक गिरनार की पाँचवी टूंक पर हुआ है ।
३. आगामी चौबीशी में होनेवाले तीर्थकर
१ श्री पद्मनाभ भगवान,
२ श्री सुरदेव भगवान,
३ श्री सुपार्श्व भगवान,
४ श्री स्वयंप्रभु भगवान,
५ श्री सर्वानुभूति भगवान,
६ श्री देवश्रुत भगवान,
७ श्री उदय भगवान,
८ श्री पेढाल भगवान,
९ श्री पोटील भगवान,
१० श्री सत्कीर्ति भगवान,
११ श्री सुव्रत भगवान,
१२ श्री अमम भगवान,
१३ श्री निष्कषाय भगवान,
१४ श्री निष्कुलाक भगवान,
१५ श्री निर्मम भगवान,
१६ श्री चित्रगुप्त भगवान,
१७ श्री समाधि भगवान,
१८ श्री संवर भगवान,
१९ श्री यशोधर भगवान,
२० श्री विजय भगवान,
२१ श्री मल्लिजिन भगवान,
२२ श्री देव भगवान इन बाईस तीर्थकर परमात्मा का मात्र मोक्ष कल्याणक और
२३ श्री अनंतवीर्य भगवान,
२४ श्री भद्रकृत भगवान इस दोनों तीर्थकर भगवानों का दीक्षा, केवलज्ञान और मोक्ष कल्याणक भविष्य में इस महान गिरनार गिरिराज पर्वत पर होगा ।
४. गिरनार महातीर्थ में विश्व की सब से प्राचीन मूलनायक रुप में विराजमान श्री नेमिनाथ भगवान की मूर्ति लगभग १,६५,७३५ वर्ष न्यून (कम) ऎसे २० कोडाकॊडी सागरोपम वर्ष प्राचीन है । जो गत चौबीशी के तीसरे तीर्थकर श्री सागर भगवान के काल में ब्रह्मेन्द्र द्वारा बनाई गई थी । इस प्रतिमाजी को प्रतिष्ठित किये लगभग ८४,७८५ वर्ष हुए है । मूर्ति इसी स्थान पर आगे लगभग १८,४३५ वर्ष तक पूजी जायेगी । उसके बाद शासन अधिष्ठायिका देवी द्वारा इस प्रतिमाजी को पाताललोक में ले जाकर पूजी जायेगी ।
५. सहसावन में करोडों देवताओं ने श्री नेमिनाथ भगवान के प्रथम और अंतिम समवसरण की रचना की थी । प्रभुजी ने यहाँ प्रथम और अंतिम देशना (प्रवचन) दी थी ।
६. सहसावन की एक गुफा में भूत, भविष्य और वर्तमान ऎसे तीन चौबीसी के बहत्तर तीर्थकरों की प्रतिमाजी विराजमान है ।
७. सहसावन में साध्वी राजीमतीजी तथा श्री रहनेमि ने मोक्ष पद प्राप्त किया था

टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें