Upakarana Vandana Jain Diksha Song - उपकरण वंदना

Upakarana Vandana Jain Diksha Song

उपकरण वंदना जैन दिक्सा सोंग 

( राग : हरिगीत छंद ) 
कर्मो उपााज्या जे घणा अज्ञानथी आवेशथी 
ते सर्वे पाप विनाश थाओ श्रमणना आ वेषथी 
गणवेशना आ विश्वमा छे स्थान जेनु विशेषथी 
ते श्रमण सुंदर वेषने भावे करूँ हूँ वंदना . . . 1 

जे वेषने प्रभुए धर्यो प्रभुए भर्यो शुभता थकी 
जे वेषने प्रभुए कह्यो आचारथी वळी आणथी 
जे वेषने लेता ज सोहे जिनवरा चऊनाणथी 
ते श्रमण सुंदर वेषने भावे करूँ हूँ वंदना . . . 2 

गणधारीने गुणधारी वळी व्रतधारीओथी शोभतो 
स्थूलिभद्र शालिभद्र सम मुनिवर थकी जे दीपतो 
केवळधरा पूरवधरा बहुश्रुतधरा धारण करे 
ते श्रमण सुंदर वेषने भावे करूँ हुं वंदना . . . 3 

देवो तणा स्वामी सदा जे वेष काजे तरफडे 
श्रेणिक समा परमार्हतोना जीवनमां जे ना जडे 
बहु पुण्यकारी जीवने जे वेष अमूलख सांपडे 
ते श्रमण सुंदर वेषने भावे करूँ हुं वंदना . . . 4

जे वेषने धारण करे वंदन जगत तेने करे 
जे वेषने नजरे निहाळी कैंक भवसागर तरे 
आ विश्वमां जे वेष काजे लोक बह आदर धरे 
ते श्रमण सुंदर वेषने भावे करूँ हुँ वंदना . . . 5 

जीवनतणुं बहुमूल्यवंतु समयधन एळे गयुं 
ने वित्त बहु धणुए करी अधिकरणने फाळे गयुं 
उद्धार करी उपकार करतुं उपकरण साचुं कह्युं 
उपकारकारी उपकरणने भावथी करूँ हुँ वंदना . . . 6 

जड़ पुद्गगलो समभाव धारीजीवने आवी मळे 
पण कोइ तेनुं शुं करे ते कोइने क्यांथी कळे ?
उपयोग तेनो शुभ थता जड़ छे छतां जडता टले 
उपकारकारी उपकरण ने भावथी करूँ हुँ वंदना . . . 7 

गृहरजतणुं वारण करे तेने मनुज करमां ग्रहे 
जे कर्मरजने दूर करतुं रजोहरण किम ना ग्रहे ? 
छे कर्मयुद्धे जेह असि सम करतुं कर्मनिकंदना 
उपकारकारी उपकरण ने भावथी करूँ हुँ वंदना . . . 8

विण पात्र भोजन साधुने प्रभुए निषेध्युं तेहथी 
कल्पे ग्रहण सुविहित मुनिने पात्रनुं सुविवेकथी 
करो कामना धरो भावना ' करूँ पात्रदान हुँ टेकथी ' 
उपकारकारी उपकरण ने भावथी करूँ वंदना . . . 9

जयणा तणुं साधन बने रक्षण तणुंकारण बने  
जे स्व परर्नु परिजन बनीने जीव तारण बने 
छे धन्य ते सह श्रमणने कंबल सदा धारण करे 
उपकारकारी उपकरण ने भावथी करूँ वंदना . . . 10 

छे बोध रह्यो अक्षर महीं अक्षर रह्या छे पुस्तके 
बने ज्ञान साधन पोथी प्रत तेहने धरुं हुं मस्तके 
अक्षर कहो साक्षर कहो , छे अभेदनयथी एकता 
उपकारकारी उपकरण ने भावथी करूँ वंदना . . . 11 

साधक मुनिना हस्तमां जपमाळना मणका फरे 
उर्जा खरे चोतरफथी ने सूक्ष्मना तणखा झरे 
माळा ग्रही करी जाप प्रभुनो पापनी क्षपणा करे 
उपकारकारी उपकरण ने भावथी करूँ वंदना . . . 12

अपराधी होय तो पण कदी कोइ जीवने नव मारता 
पण काष्ठनिर्मित मेरुशिखरी दंडने जे धारता 
त्रण दंडने फटकारता कर मोक्षदंडक राखता 
उपकारकारी उपकरण ने भावथी करूँ वंदना . . . 13 

भूमि प्रमार्जीने पछी बेसे सदा जे आसने 
वसति महीं पण चालता निशिए जुए दंडासने 
पात्रक तणुं करवा प्रमार्जन पूंजणीने अपेक्षता 
उपकारकारी उपकरण ने भावथी करूँ वंदना . . . 14 

करी साधना लई श्रम घणो संस्तारके मुनि सुवता 
नव साधना काजे नवुं लइ जोम ज्यांथी ऊठता 
जड़ छे छतां महाभाग्य करे मुनिदेहनी विश्रामणा 
उपकारकारी उपकरण ने भावथी करूँ वंदना . . . 15 

छ मुख्य साधन साधना पण जे विण ते थाय ना 
साधन तणुं साधन बनी करे उदय ते विसराय ना 
नतमस्तके ते साधनोना वृंदने पाये पडी 
उपकारकारी उपकरण ने भावथी करूँ वंदना . . . 16

Upkar kari upkarn ne bhav thi karu vandana

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