ogho che anmolo - ओघो छे अणमूलो

Ogho Che Anmolo Jain Stavan Lyrics

ओघो छे अणमूलो  

( राग : होठों से छू लो तुम . . . . प्रेमगीत ) 

ओघो छे अणमूलो एनुं खूब जतन करजो , 
मोंघी छे मुहपत्ति एनुं रोज रटण करजो . . . 

आ वेश आप्यो तमने , अमे एवी श्रद्धाथी 
उपयोग सदा करजो , तमे पूरी निष्ठाथी 
आधार लई एनो धर्माराधन करजो . . . ओघो . . . 1 

आ वेश विरागीनो , एनुं मान घणुं जगमां 
मा - बाप नमे तमने , पड़े राजा पण पगमां 
आ मान नथी मुजने , एवु अर्थघटन करजो . . . ओघो . . . 2 

आ टूकडा कापड़ना , कदी ढाल बनी रहेशे 
दावानळ लागे तो , दीवाल बनी रहेशे 
एना ताणावाणामां , तप , सिंचन करजो . . . ओघो . . . 3 

आ पावन वस्त्रो छे , तारी कायानुं ढांकण 
बनी जाये ना जो जो ए , मायानुं ढांकण 
चोख्खुं ने झगमगतुं , दिलनु दर्पण करजो . . . ओघो . . . 4 

मेलां के धोयेलां , लीसां के खरबचडां 
फाटेलां के आखां , सौ सरखां छे कपडां 
ज्यारे मोहदशा जागे , त्यारे आ चिंतन करजो . . . ओघो . . . 5 

आ वेश उगारे छे , एने जे अजवाळे छे 
गाफेल रहे एने , आ वेश डुबाडे छे 
डुबवु छे के तरवू , मनमां मंथन करजो . . . ओघो . . . 6 

प्रवीणभाई देसाई

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