Mare javu che saiyam panth - मारे जावू छे संयम पंथ

Mare javu che saiyam panth

मारे जावू छे संयम पंथ

( राग : मने ज्यां जवानुं मन ) 

मारे जावू छे संयम पंथ , मने लाग्यो छे दीक्षानो रंग , 
सुनो स्नेही सहु आजे , मने आपोने होशेथी विदाय . . . 1 

वैराग्य भर्यु मारु दिल , तमे ना करशो हवे खेल , 
साचुं छे संयमनुं स्थान , एवु में जाण्यु गुरुजीनी पास , 
अनुमति आपो मोरी माता , तमे न करो शोक लगार . . . 2 

स्नेहभर्या भाई - भाभी , न भूलुं हुं तुम उपकार , 
आपी होंशेथी रजा , मारु सफल थाये जीवन , 
धो अंतरथी आशिष , धन्य घड़ी सोनेरी आवी . . . 3

घरना कर्या नहीं काम , सहने कर्या में हैरान , 
भूलो मारी करजो माफ , पूरण करो मारी आश , 
क्षमा मांगु वारंवार , दिकरो ले छे विदाय . . . 4 

जेना अंतरमा वात्सल्य धार , वाणीमा छे अमृतधार , 
एनो अजब अनोखो प्रभाव , एवा हेमप्रभसूरि महाराज , 
जाऊं छु गुरुना चरणे , पहोंचवें मुक्तिनगरे . . . 5

छेल्ली एक विनंती मारी , तमे सुणो माताजी आज , 
मुज पर साचो प्रेम होय तो , आवजो मारे पंथ,
भवदीप शिशुनी आज , मारो पंथ बने उजमाल . . . 6 

दिल दुभाव्युं में सहुंनुं , दीक्षा लेवाने काज , 
त्रिविधे त्रिविधे खमावुं , मने दिक्षा आपो मोरी मात , 
साचुं छे संयमनुं स्थान , तमे शोक करो न लगार . . . 7 

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