Mane vesh sravan no maljo re
मने वेश श्रमणनो मळजो रे
मने वेश श्रमणनो मळजो रे , महाविदेह मां प्रभुतारी पासे
समोवसरणमां प्रभु तारी पासे , मने वेश श्रमणनो मळजो रे . . .
ममता मोटाई मोहमायाना बंधन टळजो रे ,
पंच महाव्रत पाळु पावन निर्दोषने निष्कलंक ,
समतामां लयलीन रहेवुं सरखा राय ने रंक
आंख ईर्या समिति ढळजो रे . . . 1
आठ पहोरनी साधना काजे , वहेली परोढे हुं जागुं ,
श्वासों लेवा माटे पण हं , गुरुनी आज्ञा मांगु ,
मन गुरु आज्ञाए ढळजो रे . . . 2
सूत्र अर्थने स्वाध्याय साधी शास्त्रो सघळा वांचु ,
जिनवाणीनुं परम रहस्य पामी अंतर जाचु ,
मारी अज्ञानता सवि टळजो रे . . . 3
आहार मां रस होय न कोई , घर घर गोचरी भमवुं ,
गामोगाम विचरता रहेवुं , कष्ट अविरत खमवुं ,
मारा दोषों दूरे थाजो रे . . . 4
आजीवन अणीशुद्ध रही ने पामुं अंतिम मंगल ,
साधी समाधि मोक्षने पंथे आतम रहे अविचल ,
मारी सद्भावनाओ फळजो रे . . . 5
पू . मुनि श्री प्रशमरति वि . म . सा .
( श्री रामचंद्रसूरिजी समुदाय )
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