Manav jivan ka ek sar he - मानव जीवन का एक सार है

Manav jivan ka ek sar he

मानव जीवन का एक सार है 

( राग : जिंदगी की यही रीत है )

मानव जीवन का एक सार है , बिना संयम ना उद्धार है , 
चुने संयम तो , तेरी जीत है , चुने संसार तो हार है . . . . 

चिन्ता से चिन्तन मे , पर से परमात्म में 
संयम की डगर , ले जाती है , दःखों से आनंद में , 
संयम आतम की गर्जना , तोड़ दे कर्मों की वर्गणा , 
भवरोगों का उपचार है , बिना संयम ना उद्धार है , 
मानव जीवन का . . . 1 

भोगी से योगी बने , व्याधि से समाधि मिले , 
संयम उत्तम आतम के लिए , मुक्ति की सिद्धि मिले , 
संयम पथ है परमार्थ का , जगे चेतन के पुरुषार्थ का , 
संयम खुद पे भी उपकार है , बिना संयम ना उद्धार है , 
मानव जीवन का . . . 2 

संसार मे रोग भरे , संबंध वियोग भरे , 
भव भ्रमणा की , बेड़ी जकड़े , जितना भी भोग बढ़े , 
संयम भवजल मे उपहार है , जाना प्रदीप को उसपार है , 
करना अब आत्मोद्धार है , बिना संयम ना उद्धार है , 
मानव जीवन का . . . 3

प्रदीपजी ढालावत
मुंबई

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